Real Hero Husband Suresh Choudhary pulled up wife from mouth of death MBBS degree mortgaged for treatment money rjsr

पाली. Valentine’s Day प्यार और अपनेपन का अहसास कराने का दिन होता है. दुनियाभर में प्यार के प्रतीक के रूप में मनाये जाने वाले वैलेंटाइन-डे पर नई-नई लव स्टोरी (Love story) सामने आती हैं. कल ही पूरी दुनिया ने इस खास दिन को सेलिब्रेट किया है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे डॉक्टर की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो इसकी सार्थकता को पूरी तरह से सिद्ध करता है. यह डॉक्टर हैं राजस्थान के पाली जिले के सुरेश चौधरी (Suresh Choudhary). उनका अपनी पत्नी के प्रति किस कदर प्रेम है यह उनके संघर्ष से साफ झलकता है.
बीमारी के कारण मौत के मुंह में गई पत्नी को इस डॉक्टर ने अपना सबकुछ दांव पर लगाकर वापस निकाल लिया. डॉक्टर सुरेश चौधरी ने कोरोना के कारण बीमार हुई पत्नी के इलाज के लिए ना केवल अपनी MBBS की डिग्री गिरवी रख दी बल्कि सबकुछ दांव पर लगा दिया. लगतार देखभाल और करीब सवा करोड़ रुपये खर्च कर अपने प्यार को बचा लिया. आज इस कपल की हर कोई चर्चा कर रहा है.
कोरोना ने चपेट में लिया और शुरू हो गई परेशानियां
सुरेश चौधरी (32) पाली जिले के खैरवा गांव के रहने वाले हैं. सुरेश अपनी पत्नी अनिता उर्फ अंजू और पांच साल के बेटे के साथ अपने गांव में ही रहते हैं. बीते वर्ष मई में जब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी उसी दौरान अनिता को बुखार आ गया. जांच करवाई तो पता चला कि वे कोरोना पॉजिटिव हो गई हैं. कुछ समय बाद तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई. सुरेश पत्नी को लेकर बांगड़ अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां उन्हें बेड नहीं मिला. इस पर वे पत्नी को लेकर जोधपुर एम्स पहुंचे और वहां भर्ती करवाया.
डॉक्टर्स ने कह दिया कि बचना काफी मुश्किल है
चूंकि उस समय कोरोना अपने पीक पर था लिहाजा सुरेश को छुट्टियां नहीं मिल रही थी. इसलिये वे अपने एक रिश्तेदार को पत्नी के पास छोड़कर वापस ड्यूटी पर आ गए. इस बीच पता चला कि 30 मई को अनिता की हालत और ज्यादा खराब हो गई. उस समय तक उनके लंग्स 95 फीसदी तक तक खराब हो चुके थे और वे वे छोटे वेंटिलेटर पर थीं. डॉक्टर्स ने कह दिया कि बचना काफी मुश्किल है. इन हालात में भी सुरेश ने हार नहीं मानीं और वे पत्नी अंजू को लेकर अहमदाबाद चले गए. वहां सुरेश ने 1 जून को पत्नी को निजी अस्पताल में भर्ती करवाया.
प्रतिदिन होता था 1 लाख से ज्यादा का खर्चा
बीमारी के दौरान अनिता का वजन 50 किलो से घटकर 30 किलो तक आ गया था. वहीं शरीर में खून की भी जबर्दस्त कमी हो गई थी. इसके चलते अंजू को ईसीएमओ मशीन पर लिया गया. डॉक्टर्स के मुताबिक इसके जरिये हार्ट और लंग्स बाहर से ऑपरेट होते हैं. यह प्रक्रिया काफी खर्चीली होती है. इसका औसतन एक दिन का खर्चा एक लाख रुपए से ज्यादा होता है. पत्नी की बीमारी के कारण सुरेश लगातार कर्ज के बोझ तले दबते गये लेकिन उनकी जिद थी कि जैसे भी पत्नी को हर हाल में बचाना है. अंजू 87 दिन इस मशीन पर रही. उसके बाद उनकी तबीयत में सुधार हुआ और वह मौत के मुंह से बाहर आईं.
डॉक्टर सुरेश ने यूं जुटायी इलाज की रकम
सुरेश ने पत्नी के इलाज के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. इलाज के लिये रुपये जुटाने के लिये सुरेश ने अपनी एमबीबीएस की डिग्री गिरवी रखकर बैंक से 70 लाख रुपये का लोन लिया. उनके पास खुद की सेविंग केवल 10 लाख रुपये थी. इसके अलावा सुरेश ने अपने दोस्तों और साथी चिकित्सकों से 20 लाख रुपये लिये. वहीं 15 लाख रुपये में अपना एक प्लॉट बेचा. बाकी रिश्तेदारों से भी रकम उधार ली.
सुरेश ने कहा सात जन्म तक साथ निभाने का वादा किया है
पति के अथक प्रयासों और इलाज के बाद ठीक हुई अंजू का कहना है कि वह केवल पति की जिद ओर जुनून के कारण आज ठीक हुई है. पत्नी के ठीक होने के बाद सुरेश के चेहरे पर संतोष का भाव है. सुरेश का कहते हैं कि पत्नी से सात जन्म तक साथ निभाने का वादा किया है. उसे यूं ही आंखों के सामने कैसे मरने देता? पैसे तो और कमा लूंगा, लेकिन अगर पत्नी को कुछ हो जाता तो शायद वह भी जिंदा नहीं रहता.
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