RERA tighten grip over builder, Registration rules get simplified | RERA ने कसा Builders पर शिकंजा: 8 फ्लैट्स से अधिक सभी प्रोजेक्ट्स का रेरा पंजीकरण है अनिवार्य

रेरा राजस्थान यानी राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी लगातार बिल्डरों पर शिकंजा कसते जा रही है। बिल्डर रेरा पंजीकरण से बचने के लिए जो भी हीला-हवाली अब तक करते आए हैं, वो सारे रास्ते रेरा अथॉरिटी बंद करते जा रही है। राजस्थान रेरा अथॉरिटी ने हाल में एक और कानून का स्पष्टीकरण जारी करके बिल्डरों पर शिकंजा कस दिया है और उपभोक्ताओं के लिए आसान की है। इसके बाद अथॉरिटी इसी आधार पर फैसले भी कर रही है।
जयपुर
Updated: April 07, 2022 06:35:39 pm
जयपुर। राजस्थान रेरा ने अब बिल्डरों पर शिकंजा और कस दिया है। राजस्थान रेरा ने एक ऑफिस ऑर्डर निकाल कर ये साफ कर दिया है कि प्लॉट साइज 500 वर्ग मीटर से छोटा हो या बड़ा बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट को रेरा में पंजीकृत कराना ही होगा, अगर बिल्डर ने अपने प्रोजेक्ट में 8 से अधिक फ्लैट बना दिए हैं। रेरा के इस ऑर्डर से अब साफ हो गया है कि रेरा कानून में 500 वर्ग फीट से छोटे प्लॉट साइज पर बने प्रोजेक्ट्स को रेरा पंजीकरण से छूट नहीं है। दरअसल कुछ बिल्डर कानून की भाषा का फायदा उठाकर 500 वर्ग मीटर से छोटे प्लाट्स पर बने प्रोजेक्ट को रेरा में पंजीकृत नहीं करा रहे थे। रेरा ने अब ऐसे बिल्डरों पर शिकंजा कस दिया है और इन बिल्डरों को अब रेरा में पंजीकरण भी कराना होगा। रेरा ने इस बिंदु को हाल में विरासत एफ्लुएंस -II पर चल रहे एक केस में रेखांकित भी किया है कि बिल्डर को इस आधार पर रेरा पंजीकरण से छूट नहीं दी जा सकती कि उसका प्लॉट साइज 500 वर्ग मीटर से कम है। इसलिए बिल्डर को अपना प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत कराना ही होगा।

प्लॉट साइज छोटा हो या बड़ा, 8 फ्लैट से अधिक होने पर पंजीकरण कराना होगा अनिवार्य


कुछ शिकायतें मिली थीं कि कुछ बिल्डर 500 वर्ग फीट से छोटे एक से अधिक प्लॉट को मिलाकर एक प्रोजेक्ट बना रहे थे और उन्हें रेरा में पंजीकृत नहीं करा रहे थे। इसमें स्पष्टता लाने के लिए इस ऑफिस ऑर्डर को लाया गया है। कानून में पहले से यही है, लेकिन कुछ बिल्डर बचने की गली निकाल रहे थे।
रमेश चंद्र शर्मा, रजिस्ट्रार , रेरा
एक्सपर्ट ने किया स्वागत
रेरा का यह ऑर्डर एक स्वागत योग्य कदम है। रेरा के इस ऑर्डर से नियमन में पारदर्शिता बढ़ेगी। ज्यादा से ज्यादा प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत होंगे। ज्यादा से ज्यादा लोग रेरा का लाभ उठा सकेंगे। रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी।
पवन गुप्ता, रेरा मामलों के अधिवक्ता
मनमानी व्याख्या से मिलेगी छूट इस ऑफिस ऑर्डर की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि बिल्डर कानून की मनमानी व्याख्या कर रहे थे, जो कि दरअसल कानून में है ही नहीं।
संजय घिया, संपादक, रेरा टाइम्स
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