Mgnrega Workers Limit Exhausted In Rajasthan – श्रमिकों की सीमा समाप्त, 20 लाख मजदूरों को फिर मिलने लगा रोजगार

कोरोना काल में ग्रामीण इलाकों में आजीविका का सबसे बड़ा जरिया रही मनरेगा अब जाकर फिर लॉकडाउन से पहले वाली रंगत में आने लगी है।
पंकज चतुर्वेदी/जयपुर। कोरोना काल में ग्रामीण इलाकों में आजीविका का सबसे बड़ा जरिया रही मनरेगा अब जाकर फिर लॉकडाउन से पहले वाली रंगत में आने लगी है। दूसरी ओर राज्य सरकार ने रविवार को कोरोना की रोकथाम के तहत तय की गई श्रमिकों की संख्या संबंधी बाध्यता को भी हटा लिया।
ग्रामीण विकास विभाग ने रविवार को आदेश जारी कर श्रमिक सीमा तय करने संबंधी पूर्व के आदेशों को वापस ले लिया। इससे आने वाले दिनों में और अधिक मजदूरों को रोजगार दिया जा सकेगा। योजना के तहत रविवार को 20.83 लाख श्रमिक रोजगार पर आए। जबकि लॉकडाउन में मनरेगा कार्य बंद होने के वक्त भी इतने ही मजदूर योजना में कार्यरत थे। 10 मई को प्रदेश में लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही सरकार ने पहली बार मनरेगा कार्यों पर भी रोक लगा दी थी, जिन्हें 25 मई को वापस शुरु किया गया।
30-50 की थी सीमा
योजना में सरकार की ओर से पूर्व के आदेशों को वापस लेने से अब योजना में एक सामुदायिक कार्य पर अधिकतम 30 और 50 श्रमिकों के नियोजन की बाध्यता समाप्त हो गई है। पहले यह सीमा 30 श्रमिकों की तय की गई थी। हालांकि कलक्टर इस सीमा को 50 श्रमिकों तक बढ़ा सकते थे।
मजदूर संगठनों ने की सीएम से मांग
प्रदेश में हाल ही श्रमिक यूनियन और जन संगठनों ने सभी जिलों में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर तीस मजदूरों की सीमा संबंधी आदेश को वापस लेने और कोरोना रिकवर मजदूरों के लिए टास्क आधा करने की मांग की थी।
मजदूर उतने ही, काम बढ़े
योजना के तहत कोरोना प्रोटोकॉल का असर कार्यों की संख्या पर साफ दिखा है। सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के लिए सरकार ने जिलों को कार्यों को अधिक से अधिक स्वीकृत करने के निर्देश दिए थे। ऐसे में योजना के कार्य स्थगित होने से पहले जहां 76 हजार कार्यों पर 20 लाख श्रमिक कार्यरत थे, वहीं अब इतने ही मजदूरों को 1.20 लाख कार्यों में नियेाजित किया गया है।
सर्वाधिक मजदूरों वाले जिले
बांसवाड़ा- 1.79 लाख
बाड़मेर- 1.57 लाख
जोधपुर- 1.31 लाख
उदयपुर- 1.25 लाख
डूंगरपुर- 1.18 लाख
सबसे कम श्रमिक यहां नियेाजित
झुंझुनूं- 13871
चूरू- 18046
करौली- 18987
सीकर- 22297
हनुमानगढ़- 22926