Sachin pilot express anger in congress chintan shivir jaipur amid ashok gehlot demand political appointments – Rajasthan कांग्रेस के चिंतन शिविर में उभरा असंतोष, सचिन पायलट ने कहा

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस के सामने कुनबे में कलह रोकना चुनौती बन गया है. बुधवार को शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में विधायकों को एकजुट रखने और अंसतोष थामने के लिए कांग्रेस ने जयपुर में एक होटल में बाड़ेबंदी कर दो दिवसीय चिंतन शिविर आयोजित किया लेकिन इसमें भी अंसतोष झलक पड़ा. एक विधायक ने सरकार के मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठा दिए तो सचिन पायलट ने फिर गहलोत पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 30 साल में सरकार रीपीट नहीं हुई. ऐसे में अगर फिर सरकार बनानी है तो जिन्होने पार्टी के लिए काम किया उन्हें राजनीतिक नियुक्तियां देकर सम्मान देना होगा.
राजस्थान में गहलोत सरकार के सामने कांग्रेस और सहयोगी विधायकों को एकजुट रखने का एक ही फॉर्मूला है- होटल में बाड़ेबंदी. विधानसभा का बजट सत्र बुधवार से शुरू हो रहा है. इस सत्र से पहले दिल्ली रोड पर विधायकों को दो दिन चिंतिन शिविर के लिए रखा गया लेकिन चिंतन में ही असंतोष झलक पड़ा. सचिन पायलट ने गहलोत पर निशाना साधा कि 30 साल में राजस्थान कांग्रेस की सरकार रिपीट नहीं हुई. पायलट ने मांग की कि 2018 में जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी को जिताया उन्हें राजनीतिक नियुक्तियां देकर सम्मान देना चाहिए.
पायलट ने कहा, “मैं बहुत बार बोल चुका हूं. मेरी राय है कि जिन्होंने पार्टी के लिए काम किया है, उन्हें सम्मानित करना पड़ेगा.. हर व्यक्ति को मंत्री पद नहीं दे सकते है लेकिन भागीदारी सुनिनिश्चित कर सकते हैं. 30 साल से सरकार रिपीट नहीं हुई. ये क्रम तोड़ना होगा.”
सिर्फ पाय़लट नहीं, गहलोत को बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों में से एक विधायक जोगेंद्र अवाना ने एक मंत्री के कामकाज पर सवाल
उठाए और गहलोत सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया.
दरअसल दो महीने पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रीमंडल फेरबदल कर पायलट गुट से चार मंत्री बनाकर नाराजगी दूर करने की कोशिश की थी लेकिन पायलट की लंबे समय से सबसे बड़ी मांग निगम औऱ बोर्डों में राजनीतिक नियुक्तियों की है. राजस्थान में कांग्रेस जब सत्ता में आई तब पायलट के पास राजस्थान में कांग्रेस की कमान थी. वे प्रदेश अध्यक्ष थे. पायलट चाहते हैं कि तब उनके साथ काम करने वाले पार्टी के पदाधिकारियों को निगम बोर्डों की कमान मिले. इसी टकराव के चलते राजस्थान में तीन साल से गहलोत निगम बोर्डों में नियुक्तियों को टाल रखा है.
इस बीच गहलोत ने सफाई दी कि सभी ने अपनी बात रखी लेकिन एकजुटता रही. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कोशिश है कि बुधवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में विधायकों का सदन में सरकार के खिलाफ असंतोष न झलके और सदन में किसी भी विधेयक पर मतदान के वक्त सरकार को परेशानी का सामना न करना पड़े. दूसरी तरफ मंत्रीमंडल फेरबदल के बाद न सिर्फ पायलट कई वे विधायक नाखुश हैं जिन्हें अभी तक सरकार की ओर से सत्ता में भागीदारी नहीं दी गई.
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