दुनिया के सबसे कठिन जीवन जीने वाले साधु और भिक्षु

Last Updated:March 21, 2025, 15:42 IST
आधुनिक और ऐशोआराम की इस दुनिया अब आध्यात्म और धार्मिक वैराग्य की दुनिया में मन रमाने वाले साधु भिक्षु भी लग्जरी लाइफ जीते दीखते हैं लेकिन कुछ धर्मों में ऐसी साधु परंपरा अब भी है, जो कठिन जीवन जीते हैं
हाइलाइट्स
जैन धर्म के दिगंबर साधु सबसे कठिन जीवन जीते हैं.नागा साधु नग्न या न्यूनतम वस्त्रों में रहते हैं.माउंट एथोस के साधु महिलाओं से दूर रहते हैं.
साधु बनने का मतलब है जीवन में सभी सुख सुविधाओं को छोड़कर ईश्वर की भक्ति में लग जाना. दुनिया के सभी धर्मों में आध्यात्म पथ पर जाकर साधु बनने की परंपरा रही है. चाहे वो हिंदू धर्म हो या बौद्ध या फिर ईसाई या जैन. सभी धर्मों में साधु या भिक्षु बन गए लोग सादा और कड़ा जीवन जीते हैं, इस तरह से खुद को ईश्वर के साथ जोड़ते हैं. समय के साथ इस परंपरा में बदलाव हुआ है. अब कई धर्मों के साधु संन्यासी आराम और लग्जरी का जीवन जीने लगे हैं लेकिन कई धर्म अब भी ऐसे हैं, जिसके भिक्ष और भिक्षुणियां बहुत कड़ा जीवन जीते हैं. लग्जरी या आराम को अपने पास भी नहीं फटकने देते
आइए जानते हैं कि किस धर्म के साधु या भिक्षु या मोंक कैसा जीवन जीते हैं. उनमें किसका जीवन आज भी बहुत कड़ा और सादगी भरा है. कुछ धर्मों और देशों के साधुओं का जीवन उनकी कठोर तपस्या, त्याग और जीवनशैली के कारण विशेष रूप से कठिन माना जाता है.
1. जैन धर्म (भारत) – दिगंबर साधु, सबसे कठिन जीवन जीने वालेजैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के साधु दुनिया में सबसे कठिन जीवन जीने वालों में एक माने जाते हैं. वे पूरी तरह नग्न रहते हैं, किसी भी तरह के वस्त्र का प्रयोग नहीं करते, चाहे मौसम कोई भी हो. भोजन के लिए वे केवल दान पर निर्भर करते हैं. वह भी सिर्फ एक बार ही दिन में भोजन ग्रहण करते हैं, वो भी हाथों से खाते हैं. बर्तन का प्रयोग तक नहीं करते.
ध्यान में लगे हुए एक जैन दिगंबर साधु (courtesy glory_of_jainism instagram)
हमेशा पैदल यात्रावे किसी स्थायी आवास में नहीं रहते, हमेशा पैदल यात्रा करते हैं, संपत्ति का कोई रूप नहीं रखते. अहिंसा के सिद्धांत के कारण वे सूक्ष्म जीवों को नुकसान न पहुंचाने के लिए बहुत सावधानी रखते हैं. वो जमीन पर ही आमतौर पर सोते हैं. सोने के लिए कभी गद्दे और तकिया का इस्तेमाल नहीं करते.
बहुत कम सोते हैंजैन धर्म में नींद को “प्रमाद” (आलस्य) का एक रूप माना जाता है. जैन साधु इसे कम करने की कोशिश करते हैं ताकि वे ध्यान, अध्ययन और आत्म-चिंतन में अधिक समय बिता सकें. अक्सर वो पूरे दिन में 4 से 6 घंटे से ज्यादा नींद नहीं लेते. कुछ अति तपस्वी साधु इससे भी कम 2-3 घंटे ही सो सकते हैं. जैन परंपरा में “कायोत्सर्ग” (लंबे समय तक एक मुद्रा में खड़े रहकर ध्यान करना) जैसी प्रथाएं भी नींद को प्रभावित करती हैं.
नागा साधु रात के समय जंगलों के रास्तों से सफर करते हैं. वे किसी गांव या शहर में नहीं जाते, बल्कि जंगलों और सुनसान रास्तों पर ठहरते हैं. दिन में विश्राम करते हैं, जिससे कोई उन्हें आते-जाते नहीं देख पाता. भारत के नागा साधु बहुत कठिन जीवन गुजारते हैं. केवल कुंभ में सार्वजनिक तौर पर नजर आते हैं. ()
हिंदू धर्म (भारत) – नागा साधु, कठोर जीवनशैली हिंदू धर्म के नागा साधु भी कठोर जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं. वे भी नग्न या न्यूनतम वस्त्रों में रहते हैं और शरीर पर भस्म (राख) लगाते हैं. जंगल, पहाड़ों या गुफाओं में रहते हैं, सामाजिक जीवन से दूर रहते हैं. कठोर तपस्या करते हैं. उन्हें कुंभ मेलों में ही आमतौर पर देखा जाता है. वो खुद को सामान्य जीवन से पूरी तरह अलग रहते हैं. भारत, खासकर हिमालय क्षेत्र, हरिद्वार, प्रयागराज और उज्जैन में इनकी मौजूदगी देखी जा सकती है.
3. बौद्ध धर्म (तिब्बत/हिमालय क्षेत्र) – तिब्बती भिक्षु, -20 डिग्री ठंड में रहते हैंतिब्बती बौद्ध भिक्षु, खासकर हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं. कठिन परिस्थितियों में जीवन बिताते हैं.वे ऊंचे पहाड़ों पर मठों में रहते हैं, जहां ऑक्सीजन की कमी और ठंड (-20°C तक) आम बात है. लंबे समय तक एकांतवास में ध्यान करते हैं, कभी-कभी महीनों या सालों तक. सादा भोजन करते हैं. न्यूनतम संसाधनों पर निर्भर रहते हैं. ये आमतौर पर तिब्बत (चीन), नेपाल, भूटान और भारत के लद्दाख , सिक्किम में रहते हैं.
ठंड में नग्न शरीर में पैदा करते हैं गर्मीतिब्बती बौद्ध भिक्षु आमतौर पर बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा से संबंधित होते हैं. ये भिक्षु औसतन 4-6 घंटे सोते हैं. कुछ भिक्षु 3 साल, 3 महीने और 3 दिन के एकांतवास में जाते हैं, जहां वे गुफाओं या छोटे कमरों में रहते हैं. इस दौरान वो बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट जाते हैं. वो “तुमो” (Tummo) ध्यान जैसी प्रथाएं करते हैं, जिसमें ठंड में नग्न बैठकर शरीर की गर्मी उत्पन्न करते हैं, ये उनकी शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति को दिखाती हैं. उनके पास निजी संपत्ति नहीं होती – केवल वस्त्र, प्रार्थना माला और कुछ किताबें.
तिब्बती बौद्ध भिक्षु आमतौर पर बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा से संबंधित होते हैं. ये भिक्षु औसतन 4-6 घंटे सोते हैं. (image generated bu leonardo ai)
4. ईसाई धर्म – माउंट एथोस के साधु (ग्रीस) , जो महिलाओं की ओर देखते भी नहींईसाई धर्म में माउंट एथोस (Mount Athos) के साधु एकांत और कठोर जीवन जीते हैं. यहां केवल पुरुष साधु रहते हैं. महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. वे दिन-रात प्रार्थना में बिताते हैं. बहुत कम नींद लेते हैं (कभी-कभी 3-4 घंटे). वह सादा भोजन करते हैं और शारीरिक श्रम खूब करते हैं. वह ग्रीस में ही रहते हैं.
ग्रीस के एथोस पर्वत पर रहते हैंमाउंट एथोस के साधु ईसाई धर्म की ऑर्थोडॉक्स परंपरा से जुड़े हैं. वो ग्रीस के एक प्रायद्वीप पर स्थित माउंट एथोस पर्वत क्षेत्र में रहते हैं. यह स्थान अपनी अनूठी जीवनशैली, कठोर नियमों और आध्यात्मिक समर्पण के लिए प्रसिद्ध है. ये क्षेत्र लगभग 335 वर्ग किलोमीटर में फैला है.
माउंट एथोस के साधु ईसाई धर्म की ऑर्थोडॉक्स परंपरा से जुड़े हैं. वो ग्रीस के एक प्रायद्वीप पर स्थित माउंट एथोस पर्वत क्षेत्र में रहते हैं. (image generated by leonardo ai)
यहां मादा पशु तक नहीं आ सकतेयह एक स्वायत्त मठवासी समुदाय है, जो 20 बड़े मठों और कई छोटे स्कीट्स (एकांतवास स्थल) से बना है. यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है. यहां केवल पुरुषों को ही आने की अनुमति है. महिलाओं और यहां तक कि मादा पशुओं का प्रवेश भी निषिद्ध है, ताकि साधुओं का ध्यान भंग न हो.
लंबी प्रार्थनाएं करते हैंकुछ मठों में साधु दिन में 8-10 घंटे तक प्रार्थना करते हैं, जिसमें रात की लंबी प्रार्थनाएं शामिल हैं. मांस का सेवन नहीं करते. सप्ताह में कई दिन उपवास रखते हैं. खासकर बुधवार और शुक्रवार को, तब वो बहुत कम पानी पीते हैं.
10 शताब्दी से ऐसे ही रह रहे हैंये साधु अपने मठों की देखभाल, खेती, लकड़ी काटने और अन्य काम करते हैं. वो संपत्ति और सांसारिक सुखों का पूर्ण त्याग करते हैं. उनके पास केवल आवश्यक कपड़े और प्रार्थना की किताबें होती हैं. माउंट एथोस को “ईसाई धर्म का पवित्र उद्यान” कहा जाता है. यहां 10वीं शताब्दी से साधु रहते आए हैं.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
March 21, 2025, 15:33 IST
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दुनिया में किस धर्म के साधु जीते हैं सबसे कठिन जीवन- जैन या ग्रीस के एथोस साधु