Rajasthan

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जयपुर: हिंदू धर्म के साथ-साथ मुस्लिम धर्म में भी पेड़-पौधों की पूजा और इबादत की जाती है. हर धर्म में पेड़-पौधों को पवित्र माना गया है. कुछ पेड़ हजारों सालों से अपने अस्तित्व पर आज भी खड़े हैं. ऐसा ही एक पेड़ जयपुर ग्रामीण जिले के सांभर-नरैना रोड पर स्थित है. सांभर में स्थित आशताना शरीफ दरगाह में यह इमली का पेड़ है. मंदिर में नमाज पढ़ने आए लोगों ने बताया कि यह इमली का पेड़ एक हजार साल पुराना है.

मन्नत का धागा और पेड़ की स्थितिआपको बता दें कि यहां बड़ी संख्या में जायरीन आते हैं और मन्नत का धागा बांधते हैं. पेड़ का मुख्य तना पूरी तरह से सूख चुका है, लेकिन ऊपरी हिस्से की शाखाएं अभी भी हरी हैं, जिन पर पत्तियां निकल रही हैं. खादीम नदीम बताते हैं कि दरगाह परिसर में स्थित यह खास पेड़ एक हजार साल पुराना है, जो आज भी सही-सलामत है.

मान्यताएं और धार्मिक महत्वपेड़ को लेकर खास मान्यता यह है कि यहां जो भी मन्नत का धागा बांधता है, उसकी मन्नत पूरी होती है. इसलिए यहां दूर-दराज से जायरीन आकर मन्नत का धागा बांधते हैं. लोकल 18 से बात करते हुए खादिम बताते हैं कि दरगाह के अस्तित्व के साथ ही यहां पर इमली का पेड़ भी मौजूद था. इस पेड़ को काटा नहीं जाता और न ही इसकी लकड़ियों को जलाया जाता है. यह पेड़ बहुत खास है, जो दरगाह के परिसर में बीचों-बीच खड़ा है, जहां हजारों जायरीन मन्नत का धागा बांधते हैं.

धागा बांधने की प्रक्रियाखादिम बताते हैं कि यह पेड़ दरगाह शरीफ में स्थित है, इसलिए इसे हजरत साहब का पेड़ माना जाता है. यह एक हजार साल पुराना है. यहां मन्नत का धागा इसलिए बांधा जाता है ताकि उनकी अरदास पाक हजरत मखदूम शाह सुनें और उनकी दुआ कबूल करें.

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दूर-दूर से आने वाले जायरीनसांभर नरैण रोड पर स्थित आफताब दरगाह के परिसर में लगे इस पेड़ पर मन्नत का धागा बांधने के लिए दूर-दराज से जायरीन आते हैं. यहां मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, आसाम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, सीकर, अजमेर, जयपुर, नागौर, अलवर, और कोटा से बड़ी संख्या में जायरीन आते हैं. जो जायरीन अजमेर शरीफ दरगाह जाकर आते हैं, वे सांभर दरगाह आने से पहले इस पेड़ पर भी मन्नत का धागा बांधते हैं.

FIRST PUBLISHED : October 23, 2024, 14:23 IST

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