Sanchar Saathi app raises privacy concerns fear of tracking personal data access to all phone info- संचार साथी: कैसे कोई ऐप रख सकता है आपकी हर एक्टिविटी पर नजर? कैसे करता है सबकुछ ट्रैक

प्राइवेसी पर क्या प्रभाव होगा?
ऐप को पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता और यह डिवाइस आईडेंटिफायर्स, SIM जानकारी और टेलीकॉम डेटा तक एक्सेस करता है. इसलिए लोगों का डर है कि इससे सरकारी निगरानी और डेटा कलेक्शन के डर की संभावना बढ़ सकती है.
यूज़र्स की चिंताएं क्या हैं?
सोशल मीडिया पर लोग चिंता जता रहे हैं कि यूज़र्स को अपने डिवाइस पर इंस्टॉल होने वाले ऐप्स पर कंट्रोल होना चाहिए. डेटा रिटेंशन, गलत इस्तेमाल और निगरानी के कमजोर सिस्टम जैसी चुनौतियां भी बनी रहती हैं.
इन सभी जवाबों के बाद आइए समझ लेते हैं कि कैसे कोई ऐप फोन की एक्टिविटी ट्रैक कर पाता है?
जब भी आप फोन में कोई फोन इंस्टॉल करते हैं तो नोटिस किया होगा कि ये कई तरह की परमिशन मांगता है. सोचने वाली बात है कि आपके फोन में एक छोटा-सा ऐप बैठा है. आप कॉल कर रहे हों, वॉट्सऐप चला रहे हों, फोटो खींच रहे हों या रात को बस स्क्रीन लॉक कर रहे हों, और वो ऐप चुपचाप सब देख रहा है.
कैसे? आखिर कौन-सी चालाकियां हैं जिनसे एक ऐप आपकी हर एक्टिविटी पकड़ सकता है?
फोन कोई साधारण चीज़ नहीं है. ये आपके जेब का CCTV कैमरा है. बस फर्क इतना है कि कैमरा बाहर नहीं, अंदर लगा है, और अगर कोई ऐप ज़रा-सी गलत परमिशन ले ले, थोड़ा-सा सिस्टम में घुस जाए, या चुपचाप बैकग्राउंड में चलने लगे तो वो आपकी लाइफ की आधी नहीं, पूरी कहानी पढ़ सकता है.
Permission है एक तरीकातो जैसा कि पहले बताया गया है, ये खेल है ऐप को परमिशन देने का. ऐप डाउनलोड करने पर पूछता है. ‘एक्सेस लोकेशन?’, ‘एक्सेस कॉन्टैक्ट?’, ‘फोटो-वीडियो एक्सेस?’ कई लोग ‘Allow’ दबा देते हैं क्योंकि जल्दी होती है. लेकिन यही छोटे-छोटे ‘Allow’ ऐप के लिए सोने की खान है.
लोकेशन मिली? तो वो जान लेगा कि आप ऑफिस कब जाते हैं, कब लौटते हैं, रात कहां थे. आपने देखा होगा कि कि कई बार वह उस रास्ते का ट्रैफिक भी बताने लगता है जहां आप हर दिन जाते हो.
कॉन्टैक्ट मिले? तो वो आपके सारे दोस्त-रिश्तेदारों की लिस्ट पकड़ लेगा.
कैमरा/माइक मिला? तो ऐप चाहे तो आपकी स्क्रीन ऑन करने भर की आवाज़ भी सुन सकता है.
दूसरा है Background Activityअब आते हैं दूसरे खेल पर, वह है बैकग्राउंड एक्टिविटी. कई ऐप खुले बिना भी चलते रहते हैं. स्क्रीन बंद हो, आप सो रहे हों, पर ऐप अपने काम में लगा रहता है.
नेटवर्क की हर हलचल, आपके फोन का मूवमेंट, आप कौन-सा ऐप कब खोलते हो. ये सब बैकग्राउंड लॉग में रिकॉर्ड होता रहता है, और हैरानी ये कि ज़्यादातर लोग ये नोटिस भी नहीं करते कि कोई ऐप लगातार इंटरनेट खा रहा है या बैटरी चूस रहा है.
तीसरा है Trackersएक और बड़ा तरीका है ट्रैकर्स. कई ऐप्स के अंदर पहले से छुपे हुए छोटे-छोटे कोड होते हैं, जिनका असली काम होता है आपकी ब्राउज़िंग, आपके टच-पैटर्न, आपकी खरीदारी, आप कौन-से स्क्रीन पर कितनी देर रुके. ये सब समझना. ये trackers आपके फोन से निकलकर उन कंपनियों तक पहुंचते हैं जो डेटा बेचकर पैसा कमाती हैं. और फिर आपको अचानक ‘आपको यही प्रोडक्ट चाहिए?’ वाला ad दिखने लगता है.
आखिरी और खतरनाक है Network Monitoringइसके बाद आता है Network Monitoring. अगर कोई ऐप नेटवर्क की परमिशन ले चुका है और डिवाइस इन्फो तक पहुंच पा रहा है, तो वह देख सकता है कि आपका फोन कौन-सा Wi-Fi पकड़ता है, आप किस वक्त मोबाइल डेटा ऑन रखते हैं, कौन-कौनसी वेबसाइट खुलती हैं, कौन-सा ऐप इंटरनेट यूज़ करता है.
ये सब ट्रैक करने का मतलब है. आपकी डिजिटल आदतें पता चल जाती हैं, और सबसे खतरनाक नींव होती है- सिस्टम लेवल एक्सेस. यही वो लेवल है जहां कोई ऐप अगर पहुंच गया, तो वो आपके फोन की सभी एक्टिविटी का ‘गाइड’ बन सकता है. किसने कॉल किया, कितनी देर बात हुई, कौन-सा ऐप कितनी देर चला, फोन कब लॉक-अनलॉक हुआ, स्क्रीन brightness कौन बदलता है सबकुछ.
यहीं से निगरानी का डर शुरू होता है, क्योंकि ऐसा एक्सेस आमतौर पर सिर्फ सिस्टम ऐप्स को मिलता है. अगर कोई दूसरा ऐप इसे हासिल कर ले, तो फिर वो आपके फोन का मालिक जैसा बन जाता है.
असल डर तब और बढ़ जाता है जब कोई ऐप आपको हटाने या बंद करने का विकल्प भी न दे. मतलब वो हमेशा फोन के अंदर रहेगा, और चाहे आपको पसंद आए या न आए, वो चलता रहेगा. ऐसे में चाहे वह सरकार बनवाए, कोई कंपनी या कोई डेवलपर, भरोसा मुश्किल हो जाता है.
तो आखिर कैसे कोई ऐप आपकी हर एक्टिविटी पर नजर रख सकता है? जवाब permissions, trackers, background activity, network access, system control. इन पांचों में से जितना ज्यादा किसी ऐप को मिल जाए, उतनी ज्यादा आपकी ज़िंदगी उसके सामने खुल जाती है.



