दौसा में एक ऐसी पहाड़ी जिस पर एक रात में बड़े हो जाते हैं धोक के पेड़, खाने पर बीमार पड़ जाते हैं जानवर!

दौसा. दौसा जिले के कई धार्मिक और नायब स्थलों को लोकल 18 ने आपको दिखाया और उनका इतिहास भी बताया. लेकिन आज हम सिकराय उपखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत कालाखो अंबाड़ी के बीच में स्थित पहाड़ी के पेड़ों के बारे में बताने जा रहे हैं. इन पेड़ों को लेकर एक अनोखा दावा किया जाता है जिस पर आप भी विश्वास नहीं कर पाएंगे. यहां महादेव जी हनुमान जी और लक्ष्मी नारायण का मंदिर भी बना हुआ है और यहां सुबह शाम पूजा भी होती है.
कालू दास की डूंगरी पर बने मंदिरों की पूजा करने वाले गणपत दास का कहना है कि मालवा से आकर कालू दास महाराज ने कालाखो अंबाड़ी की पहाड़ी पर तपस्या की थी. जब कालू दास महाराज यहां तपस्या करने के लिए आए थे तब यहां गांव नहीं था. कालाखो गांव भी उन्हीं के द्वारा बसाया गया था. यहां शिकार करने के लिए लोग आया करते थे. प्राचीन समय की बात है, जब कुछ लोग शिकार के लिए इस इलाके में आए. उन्होंने कालू दास महाराज से पानी मांगा. महाराज ने उन्हें अपना कमंडल दिया और पास के कुएं से पानी लेने के लिए कहा. खाने के लिए उन्होंने बाटी बनाने का सुझाव दिया. उन लोगों ने वहीं बाटी बनाई और भोजन किया.
धोक के पेड़ों को लेकर बड़ा दावाइस पहाड़ी पर धोक प्रजाति के पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं. वार्ड पंच नवल किशोर मीना का दावा है कि ये पेड़ एक ही रात में बड़े हो जाते हैं और इतने ऊंचे हो जाते हैं कि ऊंट या अन्य जानवर इन्हें खा नहीं सकते. कालाखो निवासी अनिल मीना का भी कहना है कि बुजुर्गों से सुना है कि यहां एक वरदान के कारण छोटे धोक के पेड़ दिखाई नहीं देते और ये रातों-रात बड़े हो जाते हैं. जब ये पेड़ नष्ट होते हैं तो दोबारा नहीं उगते. किशोर मीणा ने दावा किया है कि जब भी कोई पशु इन पेड़ों को खाने की कोशिश करता है या खा जाता है तो वह पशु भी बीमार हो जाता है. वन विभाग ने दावे पर दी सफाई वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोई भी पेड़ पहले छोटा ही होता है. लेकिन कालाखो की डूंगरी के लोग दावा करते हैं कि यहां छोटे पेड़ नहीं होते, बड़े पेड़ ही होते हैं. उसे लेकर कुछ कहना असंभव है. हालांकि, यहां अन्य प्रजाति के पेड़ कुछ संख्या में वह छोटे हैं. लेकिन धोक के पेड़ सिर्फ बड़े ही दिखाई देते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 17:50 IST
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