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द‍िल्‍ली से 6500KM दूर, सावरकर ने समंदर में लगाई थी छलांग,PM मोदी ने दिलाई याद

Last Updated:February 11, 2025, 22:13 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस यात्रा के अंतिम चरण में मार्सिले पहुंचे, जहां वे राष्ट्रपति मैक्रों के साथ प्रथम विश्व युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे.द‍िल्‍ली से 6500KM दूर, सावरकर ने समंदर में लगाई थी छलांग,PM मोदी ने दिलाई याद

पीएम नरेंद्र मोदी के मार्सिले के दौरे का वीर सावरकर से संबंध है. (Image:AP)

हाइलाइट्स

प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस यात्रा के अंतिम चरण में मार्सिले जाएंगे.मोदी और मैक्रों प्रथम विश्व युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे.मार्सिले में भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन होगा.

पेरिस. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम चरण में मार्सिले जाएंगे. बुधवार को वे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मजारग्यूज युद्ध कब्रिस्तान जाएंगे, जहां वे प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे. मार्सिले यात्रा का उद्देश्य पेरिस के बाहर प्रमुख सहयोगियों के साथ राजनयिक शिखर सम्मेलन आयोजित करना भी है, ठीक उसी तरह जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल उन्हें जयपुर ले गए थे. प्रधानमंत्री मोदी और मैक्रों मार्सिले में भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करेंगे. हालांकि, इस बंदरगाह शहर का भारत के स्वतंत्रता संग्राम से महत्वपूर्ण संबंध है.

प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर या वीर सावरकर ने 8 जुलाई, 1910 को ब्रिटिश जहाज मोरिया पर मुकदमा चलाने के लिए भारत ले जाते समय भागने का साहस किया था. सावरकर एक पोर्टहोल से फिसलकर किनारे पर तैर गए थे. उनको फ्रांसीसी पुलिस अधिकारियों ने पकड़ा और फिर जहाज पर अंग्रेजों को सौंप दिया गया. सावरकर के भागने के प्रयास ने फ्रांस और ब्रिटेन के बीच कूटनीतिक तनाव को जन्म दिया.

वीर सावरकर की वापसी अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघनफ्रांस ने आरोप लगाया कि स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की वापसी ने अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया, क्योंकि इस मामले में उचित प्रत्यर्पण प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया था. फिर मामला स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में पेश किया गया, जिसने 1911 में फैसला सुनाया कि उनकी गिरफ्तारी में अनियमितता थी, लेकिन ब्रिटेन उन्हें फ्रांस को वापस करने के लिए बाध्य नहीं था. फ्रांसीसी सरकार ने तर्क दिया कि सावरकर को ब्रिटिश अधिकारियों को सौंपना अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन था, क्योंकि उचित प्रत्यर्पण प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया था.

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सावरकर को फ्रांस को दिया जाना चाहिए थाफ्रांस ने कहा कि ‘सावरकर को फ्रांसीसी कानूनी प्रक्रिया के अधीन किया जाना चाहिए था.’ फ्रांसीसी अधिकारियों ने तर्क दिया कि मार्सिले में फ्रांसीसी धरती पर भाग जाने वाले सावरकर को फ्रांसीसी कानूनी प्रक्रियाओं के अधीन किया जाना चाहिए था, न कि उचित प्रक्रिया के बिना अंग्रेजों को वापस सौंप दिया जाना चाहिए. फ्रांसीसी प्रेस और मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की आलोचना करते हुए इसे फ्रांसीसी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानदंडों का उल्लंघन बताया और इसे अनियमित और अनुचित प्रत्यर्पण करार दिया.


First Published :

February 11, 2025, 22:07 IST

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