Health

गोरापन पाने के चक्कर में खराब हो रहीं किडनियां? फेयरनेस क्रीम के चौंकाने वाले सच | New Study Links Fairness Creams to Kidney Problems

स्टडी में क्या है? किडनी इंटरनेशनल नाम की मेडिकल जर्नल में छपी ये स्टडी बताती है कि ज्यादा मात्रा में पारा वाली फेयरनेस क्रीम (Fairness cream) इस्तेमाल करने से मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी (एमएन) नाम की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. ये बीमारी किडनी के फिल्टर को खराब कर देती है, जिससे प्रोटीन शरीर से बाहर निकल जाता है. मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसकी वजह से नेफ्रोटिक सिंड्रोम (Nephrotic Syndrome) होता है. नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक किडनी की बीमारी है जिसमें शरीर बहुत ज्यादा प्रोटीन पेशाब के रास्ते बाहर निकाल देता है.

यह भी पढ़ें- इस अंग में सूजन? ये किडनी की बीमारी का शुरुआती लक्षण हो सकता है! जानिए कैसे करें बचाव

स्टडी में शामिल रिसर्चरों में से एक डॉक्टर साजेश शिवदास का कहना है कि “पारा त्वचा के जरिए शरीर में داخل (داखिल) हो जाता है और किडनी के फिल्टर को खराब कर देता है. इसकी वजह से नेफ्रोटिक सिंड्रोम के मामले बढ़ रहे हैं.” डॉक्टर शिवदास कोट्टायकल, केरल के आस्टर MIMS हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी विभाग में काम करते हैं.

डॉक्टर आगे कहते हैं कि “ये क्रीम भारत के बिना नियम वाले बाजारों में आसानी से मिल जाती हैं और कम समय में गोरापन का फायदा देने का वादा करती हैं. लेकिन ये फायदा किस कीमत पर मिल रहा है? बहुत बार लोग इन क्रीमों को लगाने के आदी हो जाते हैं और इन्हें लगाना बंद करने पर उन्हें लगता है कि उनका रंग और भी ज्यादा काला हो गया है.”

स्टडी में जुलाई 2021 से सितंबर 2023 के बीच मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी के 22 मामलों की जांच की गई. स्टडी में क्या पाया गया? इन मरीजों में थकावट, हल्का सा सूजन और पेशाब में झाग ज्यादा आना जैसे लक्षण थे. सिर्फ तीन मरीजों को ही ज्यादा सूजन की परेशानी थी लेकिन सभी के पेशाब में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा थी. एक मरीज को दिमाग में खून का थक्का जमने की भी परेशानी हुई लेकिन सभी की किडनी ठीक से काम कर रही थी.

यह भी पढ़ें- सैलून में बाल सीधा करवाना पड़ा भारी! महिला की हो गई किडनी खराब

स्टडी में ये भी पाया गया कि करीब 68 फीसदी या 22 में से 15 मरीजों में न्यूरल एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर-लाइक 1 प्रोटीन (NELL-1) पाया गया. ये एक खास तरह का मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी होता है जो ज्यादातर कैंसर की वजह से होता है. इन 15 मरीजों में से 13 ने बताया कि उन्होंने बीमारी शुरू होने से पहले फेयरनेस क्रीम लगाई थी. बाकी बचे हुए मरीजों में से एक ने आयुर्वेदिक दवाइयां इस्तेमाल की थीं और दूसरे को किसी खास कारण का पता नहीं चला.

शोधकर्ताओं का कहना है कि “ज्यादातर मामलों में इन क्रीमों को लगाना बंद करने के बाद मरीज ठीक हो गए. इससे ये एक संभावित जन स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरती है. जरूरी है कि लोगों को इन प्रोडक्ट्स के खतरे के बारे में जागरूक किया जाए और स्वास्थ्य विभाग को भी ऐसे उत्पादों को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए.”

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj