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जयपुर की अपूर्वी चंदेला से दस मीटर राइफल श्रेणी में ओलंपिक में पदक की आस– News18 Hindi

जयपुर. टोक्यो में आज से ओलंपिक खेलों के महाकुंभ का आगाज होगा. गुलाबी नगर की शूटर ओलंपियन (Olympian) अपूर्वी चंदेला टोक्यो ओलंपिक (Tokyo olympic) में हिस्सा ले रही हैं. वे महिलाओं की दस मीटर एयर राइफल श्रेणी (Air Rifle Category) में हिस्सा लेंगी. उनका क्वालिफायर रांउड (Qualifier Round) शनिवार 24 जुलाई को होगा. उनका यह दूसरा ओलंपिक हैं, लिहाजा उनसे भी पदक (medal) की उम्मीदें हैं.

अपूर्वी ने साल 2014 में हुए ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स (Glasgow Commonwealth Games) के दौरान गोल्ड मेडल (Gold Medal) जीतने से सफलता का सिलसिला शुरू किया था. 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में प्रतिस्पर्धा के दौरान उनके टखने में लिगामेंट फट गया था. चोट के बावजूद, वह खेलों में स्वर्ण जीतने में सफल रही. हालांकि रियो 2016 में वो कुछ खास नहीं कर पाई थीं, लेकिन उनके लिए ओलंपिक का अनुभव अब एक सीख की तरह साथ है.

कई पदक अपनी झोली में डाल चुकी हैं अपूर्वी

पिछले ओलंपिक के बाद अपूर्वी ने एक नई शुरुआत की और साल 2018 में ऑस्ट्रेलिया में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल (Bronze Medal) जीता.जबकि इसके बाद अपूर्वी ने दिल्ली में आयोजित हुए आईएसएसएफ़ विश्व कप फ़ाइनल में वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) बनाते हुए जीत हासिल की. साल 2019 में दस मीटर एयर राइफल श्रेणी में आईएसएसफ वर्ल्ड चैंपियनशिप जीती थी. यहां से ओलंपिक का टिकट कटवाया और रैकिंग में नंबर वन भी रही.

पिछले ओलंपिक का अनुभव अब काम आएगा

अपूर्वी के पिता कुलदीप सिंह बताते है कि “स्कूलिंग से ही वो टैलेंटेड है. साल 2008 से स्टेट लेवल में ब्रांज जीतने से शुरूआत की. नेशनल में तीन बार चैंपियन रही. जूनियर और सीनियर वर्ग में हैं. लगातार वे इंडिया टीम में बनी हुई हैं. अपूर्वी का अभ्यास दिल्ली बैंगलोर और क्रोएशिया में रहा है.” उन्होंने अपनी तैयारियां बेहतरीन की हैं. अपूर्वी के पिता बताते है कि “ओलंपिक में दोबारा हिस्सा ले रही है अपूर्वी और उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीदें करते हैं.”

घर में शूटिंग रेंज बनाकर करवाई तैयारी

उनका कहना है कि यदि वह उसका दिन रहा तो निश्चित ही मेडल देश की झोली में होंगे. अपूर्वी को साल 2016 में अर्जुन अवॉर्ड हासिल कर चुकी हैं. उनकी मां बिंदू राठौड़ भी ज्यादातर अभ्यास के दौरान उनके साथ ही रही हैं. उनकी मां भी राष्ट्रीय स्तर की बास्केटबॉल प्लेयर रही हैं. कोविड के दौर में उन्होंने इस महामारी का खुद भी सामना किया था. एक समय तक वह जगतुपुरा शूटिंग रेंज पर अभ्यास करती थीं. लेकिन इसके बाद घर पर ही रैंज बनवाकर तैयारियां करवाईं.

परिवार ही नहीं प्रदेश को भी पदक की उम्मीद

राजस्थान ओलंपिक संघ के सचिव शंशाक बताते हैं कि उन्होंने लगातार लंबे अर्से से मेहनत की है. इसका परिणाम उनके खेल पर नजर आता है. वो शांत रहकर भी अपनी प्रतिभा को तेज करती हैं. इसलिए उनको किसी हाल से कम नहीं आंका जा सकता है. बहरहाल, अपूर्वी से न सिर्फ उनके परिवार को बल्कि पूरे प्रदेश को पदक जीतने की उम्मीदें हैं. वे अपनी एकाग्रता और अनुभव से टोक्यो ओलंपिक में पदकों पर निशाना साधेंगी.

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