Health

Senior citizen swallowes aluminium blister foil tablet stuck in food pipe but gangaram hospital doctors saved without surgery

हाइलाइट्स

61 साल के एक बुजुर्ग ने दवा समझकर एल्‍युमिनियम की नुकीली गोली निगल ली.
मरीज के गले में फंसी इस गोली को गंगाराम अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने‍ बिना सर्जरी के निकाला है.

नई दिल्‍ली. आपने छोटे बच्‍चों को सिक्के (Coins), खिलौने में मौजूद बैटरी सेल (Battery Cell), छोटे चुम्बक, ड्राइंग पिन आदि निगलने के बारे में सुना होगा, जिन्हें एंडोस्कोपिक तकनीक (Endoscopic Technique) द्वारा पेट से बाहर निकाल दिया जाता है लेकिन हाल ही में 61 साल के एक बुजुर्ग द्वारा ऐसा ही करने का मामला सामने आया है. बुजुर्ग ने एल्यूमीनियम ब्लिस्टर पन्नी (Aluminium Blister Foil) वाली एक गोली गलती से निगल ली लेकिन दिक्‍कत तब हुई जब पेट में जाने के बजाय यह गोली भोजन नली (ग्रासनली) में फंस गई. गोली के ग्रासनली (Food Pipe) में अटकते ही मरीज की हालत खराब हो गई. सीने में दर्द के साथ ही बुजुर्ग मुंह से लार डालने लगे.

बुजुर्ग मरीज की हालत बिगड़ते देख उन्‍हें तत्‍काल दिल्‍ली के सर गंगाराम अस्‍पताल (Sir Gangaram Hospital, Delhi) में लेकर आया गया. जहां अस्‍पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैनक्रिएटिको-बिलियरी साइंसेज (ILGPS) के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने देखा तो हैरान रह गए. मरीज की हालत इतनी खराब थी कि वे कुछ भी नहीं निगल पा रहे थे. बार-बार थूक रहे थे. ऐसे में मरीज की तुरंत एंडोस्‍कोपी की गई.

प्रोफेसर अनिल अरोड़ा और डॉ. श्रीहरि अनिखिंदी कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट एंड थेराप्यूटिक एंडोस्कोपिस्ट, सर गंगा राम अस्पताल ने बताया कि साबुत टैबलेट (एल्यूमीनियम ब्लिस्टर फॉयल में पैक गोली) भोजन नली के सबसे छोटे हिस्से में बुरी तरह से फंस गई थी, जिसे एंडोस्कोपिक तकनीक से बाहर निकालने के लिए किसी भी जगह कोई विकल्प मौजूद नहीं था. एल्युमिनियम की पन्नी बहुत कठोर थी और उसके किनारे नुकीले थे. इसलिए थोड़ा भी जोर लगाने पर भोजन नली के आसानी से फटने का खतरा था. जिससे भोजन नली में बहुत अधिक खून का बहना, मीडियास्टिनल संक्रमण, सेप्सिस जैसी खतरनाक कठिनाइयां पैदा हो सकती थी, और ऐसी स्थिति तत्‍काल ही एक आपातकालीन सर्जरी की भी जरूरत पड़ती.

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हालांकि आईएलजीपीएस के डॉक्‍टरों की टीम ने एक नया तरीका ढूंढा. चूंकि भोजन नली (एसोफैगस) से एल्यूमीनियम पन्नी को सीधे निकालना या हटाना बहुत अधिक खतरनाक था, इसलिए पेट में फसी हुई एल्यूमीनियम पन्नी के साथ टैबलेट को बहुत धीरे-धीरे पेट की तरफ धक्का दिया. डॉ. श्रीहरि अनिखिंदी कहते हैं कि इससे डॉक्‍टरों को विशेष उपकरणों को चलाने के लिए पर्याप्त जगह मिल गई. जब यह पेट के अंदर थी एक विशेष एंडोस्कोपिक सुई का उपयोग करके एल्यूमीनियम पन्नी में छेद कर दिया और दबाव में सेलाइन (नमकीन) को डाल दिया. इससे गोली के अंदर का हिस्‍सा घुल गया और पूरी सामग्री पेट की गुहा में पन्नी से बाहर आ गई. चूंकि पन्नी की सामग्री अब खाली हो गई थी, इसलिए अब एल्यूमीनियम पन्नी को स्वयं पर मोड़ना संभव था. इसने व्यास को कम कर दिया और खतरनाक तेज किनारों को उलट दिया.

आखिरकार एंडोस्कोप से जुड़ी एंडोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन कैप नामक एक विशेष सहायक का उपयोग करके, हम मुंह के माध्यम से मुड़े हुए एल्यूमीनियम पन्नी को सुरक्षित रूप से बाहर निकालने में सक्षम हुए. कठिन और अनिश्चित स्थिति का सामना करते हुए, एक सुरक्षित एवं नवीन तकनीक का उपयोग करके एल्यूमीनियम पन्नी को भोजन नली से बिना सर्जरी के सुरक्षित और सफलतापूर्वक तुरंत बाहर निकालना सुखद रहा.

प्रोफेसर अनिल अरोड़ा ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से, यह दूसरी बार है जब हम इस तरह के मामले का सामना कर रहे हैं और दोनों अवसरों पर इस दृष्टिकोण का उपयोग करने में सफल रहे हैं. मेडिकल लिटरेचर (साहित्य) में ऐसे मामलों को कभी दर्ज ही नहीं किया गया. चूंकि इस तरह के दुर्लभ मामलों के लिए कोई मानकीकृत दृष्टिकोण नहीं है, इसलिए हमें लीक से हटकर सोचना पड़ा. भोजन नली, पेट और गले के आंतरिक अंगों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए हम खतरनाक एल्यूमीनियम पन्नी को सुरक्षित रूप से शरीर के बाहर निकालने में सफल हुए. सर गंगा राम अस्पताल में, हमारे पास एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित, अत्यधिक कुशल टीम है जो ऐसी कठिन परिस्थितियों से चतुराई से निपट पाती है.

Tags: Gangaram Hospital, Senior Citizens

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