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In this city of Rajasthan, people will be able to do tarpan for free | Pitru Paksha 2022: राजस्थान के इस शहर में लोग नि:शुल्क करा सकेंगे तर्पण, बस करना होगा ये काम

गायत्री शक्तिपीठ की पहल: 12 साल बाद इस बार फिर श्राद्ध पक्ष 16 दिन का रहेगा

जयपुर

Published: September 12, 2022 02:26:56 pm

जयपुर। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है। लोग अपने पितरों का तर्पण कर आशीर्वाद पाने के लिए प्रसन्न करेंगे। पितृ पक्ष में पितरों की आत्मशांति के लिए राजधानी में विभिन्न स्थानों पर यज्ञ व तर्पण सहित अन्य अनुष्ठान किए जा रहे हैं। कई सामाजिक संगठनों के साथ ही गायत्री परिवार के राजधानी में स्थित चेतना केंद्रों में तर्पण सहित अन्य अनुष्ठान नि:शुल्क कराए जा रहे हैं। गायत्री परिवार के राज्य प्रभारी ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि पितृपक्ष में ब्रह्मपुरी व वाटिका सहित मानसरोवर स्थित वेदना निवारण केंद्र सहित अन्य गायत्री केंद्रों में प्रतिदिन नि:शुल्क तर्पण के साथ ही हवन कराया जा रहा है। इसमें पित्तरों के निमित्त यम गायत्री मंत्र की विशेष आहुतियां अर्पित की जा रही हैं। असहाय तबके के लोगों के लिए भी नि:शुल्क तर्पण आदि की मदद की जा रही है। इसके लिए दो से तीन लगातार बुकिंग हो रही है।
लोगों को बता रहे पितृदोष दूर करने के उपाय
गायत्री शक्ति केंद्रों पर प्रज्ञापुराण कथा का महत्व बताने के साथ ही आत्म शोधन एवं आत्म निर्माण की साधना के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। पितृ पक्ष में किस दिन श्राद्ध करना लाभदायक है, श्राद्ध किसे करना चाहिए, पितृदोष दूर करने के उपाय सहित अनेक प्रश्नों के जवाब भी बताए जा रहे हैं।
सोलह दिनों तक होगी पितरों की मनुहार
इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 16 दिनों तक आश्विन कृष्ण अमावस्या पर 25 सितंबर तक रहेगा। 16 दिन तक शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। 12 साल बाद इस बार फिर श्राद्ध पक्ष 16 दिन का रहेगा, जिसे शुभ नहीं माना जा रहा है। हालांकि इस बीच 17 सितंबर को कोई श्राद्ध नहीं होगा। इससे पहले साल 2011 में 16 दिन का श्राद्ध पक्ष रहा है। ज्योतिषाचार्य सुरेश शास्त्री ने बताया कि इस बार 16 दिन का श्राद्ध पक्ष रहेगा। श्राद्ध पक्ष बढऩा जनता के लिए शुभ नहीं होता है, अशांति का माहौल रहता है।
श्रद्धापूर्वक करें श्राद्ध
महामंडलेश्वर पुरूषोत्तम भारती ने बताया कि श्रद्धा से श्राद्ध शब्द बना है। श्रद्धापूर्वक किए गए कार्य को श्राद्ध कहते हैं। सत् कार्यों के लिए, सत्पुरुषों के लिए, सद्भाव के लिए अंदर की कृतज्ञता की भावना रखना श्राद्ध कहलाता है। उपकारी तत्वों के प्रति आदर प्रकट करना जिन्होंने अपने को किसी प्रकार लाभ पहुंचाया है, उनके लिए कृतज्ञ होना श्रद्धालु का कर्तव्य है।

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