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Shardiya Navratri 2021 Kalash Sthapana time and vidhi

Shardiya Navratri 2021 Kalash Sthapana. आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। इस बार नवरात्रि आठ दिन के हैं वहीं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सिर्फ एक घंटे ही है।

नई दिल्ली:

Shardiya Navratri 2021 Kalash Sthapana. आज यानि 7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। अश्विन मास में पड़ने वाले इस पर्व का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। बता दें कि इस बार शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 7 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से शुरू हो रहे हैं।

बताया जा रहा है कि इस साल दो तिथियां एक साथ पड़ने की वजह से नवरात्रि 8 दिन के हैं। दुर्गा मां का ये पवित्र पर्व 14 अक्टूबर को महानवमी को समाप्त होगा। यानि 8 दिनों के व्रत और पूजन के बाद माता की चौकी और कलश का विसर्जन किया जाएगा। इसके साथ ही भक्त कन्याओं को भोजन करवाकर अपना व्रत खोलेंगे। इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत पहले दिन मां शैलपुत्री के पूजन के साथ की जाती है। बता दें कि नवरात्रि के पहले ही दिन मां की तस्वीर या मूर्ति के साथ विधि-विधान से कलश की स्थापना भी की जाती है। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। विद्वानों का कहना है कि इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्ति सिर्फ सुबह एक घंटे ही 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में ही कलश स्थापित करना फलदायी रहेगा।

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विधि शुरू करने से पहले एकत्र करें सामग्री

माना जाता है कि कलश स्थापना मुहूर्ति में और विधि विधान से किया जाना चाहिए। इसके लिए जिन सामग्रियों की जरूरत हो उन्होंने विधि शुरू करने से पहले ही अपने समीप रख लें। कलश स्थापना के लिए आपको 7 तरह के अनाज, चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान से लायी गई मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम के पत्ते, सुपारी, नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल वस्त्र और पुष्प की आवश्यकता होती है।

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कलश स्थापना की विधि

मुहूर्त के समय मां दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश रखें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। कलश स्थापना के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें।

इसके साथ ही अगर संभव हो, तो नदी की रेत रखें। फिर जौ भी डालें, इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। फिर ‘ॐ भूम्यै नमः’ कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें। अब कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए ‘ॐ वरुणाय नमः’ कहें और जल से भर दें।

शुरू करें मां शैलपुत्री की पूजा

इसके बाद आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें. तत्पश्चात् जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें और उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें। इसके बाद हाथ में हल्दी, अक्षत पुष्प लेकर इच्छित संकल्प लें. इसके बाद ‘ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः। वहीं दीपो हरतु मे पापं पूजा दीप नमोस्तु ते. म मंत्र का जाप करते दीप पूजन करें। इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा प्रारंभ करें।











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