क्वीन विक्टोरिया के स्वागत में यहां बना था शीश महल, बेल्जियम से आए थे कलाकार, इस आर्ट का फिर बढ़ा क्रेज

उदयपुर. शीशमहल का नाम सुनते ही जयपुर के आमेर पैलेस के वो चमकते दमकते कांच याद आ जाते हैं. साथ ही प्रसिद्ध फिल्म मुगल-ए-आजम का मधुबाला पर फिल्माया गया पॉपुलर हिट गीत. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शीशों से गयी ये कला क्या कहलाती है और इसे क्या कहते हैं.
आप ने राजमहलों होटलों में शीशों की कलाकारी देखी होगी. कांच की इस कला को ठीकरी कला कहते हैं. महारानी विक्टोरिया जब मेवाड़ आई थीं तब बेल्जियम से उनके साथ खास कारीगर बुलाए गए थे. उन्होंने उदयपुर शहर के सिटी पैलेस में ये कलाकारी की थी. उसी जगह महारानी विक्टोरिया ठहरी थीं.
क्वीन विक्टोरिया के स्वागत में शीश कलाउदयपुर शहर के ठीकरी कला एक्सपर्ट सुभाष चंद्र शर्मा बताते हैं महारानी विक्टोरिया उदयपुर आ रही थीं. उनके स्वागत में यहां के सिटी पैलेस के कमरा नंबर सात में खास विक्टोरिया पैलेस तैयार किया गया था. उसके लिए बेल्जियम से खास कारीगर बुलाए गए थे उन कारीगरों को हेल्पर की जरूरत थी. तब उदयपुर के महाराणा ने यहां के लोगों को यह कला सिखवायी और फिर राजस्थान के अलग-अलग शहरों और राजमहलों में शीश महल बनवाए.
फिर ट्रेंड में है शीशकलाठीकरी आर्टिस्ट तरुण शर्मा बताते हैं तब से लेकर अब तक यह कला बहुत पसंद की जा रही है. कांच की छोटी-छोटी कलाकृतियों को कागज पर चिपकाकर उकेरा जाता है. सबसे पहले कागज पर पेंसिल से स्केच किया जाता है. उसके बाद उस पर छोटे-छोटे कांच उल्टे चिपकाए जाते हैं. फिर फेविकोल की मदद से एक लेयर तैयार की जाती है. उससे यह शीट तैयार हो जाती है और उन्हें होटल और बड़ी-बड़ी हवेलियों में लगाया जाता है. इन दिनों कई लोग अपने घरों में भी ये इंटीरियर पसंद कर रहे हैं. अगर कीमत की बात की जाए तो 1200 से 1500 रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से ठीकरी कला की कलाकृतियां बनाई जाती हैं.
FIRST PUBLISHED : May 28, 2024, 20:54 IST