Shri Ram Gaushala in Sikar has become an example of innovation, conserving rainwater to provide care for 400 destitute cows. The gaushala is being run collectively by the people of Bateen village.

Last Updated:December 24, 2025, 21:22 IST
Sikar News : सीकर के लोसल स्थित श्रीराम गोशाला में सत्यनारायण कालिका की अध्यक्षता में नवाचार, वर्षा जल संरक्षण और 5100 पौधों की सिंचाई तकनीक से 400 गायों की सेवा की जा रही है. श्रीराम गोशाला में बारिश के पानी को सहेजकर निराश्रित गोवंश की सेवा की जा रही है. यहां 110 गुणा 40 फीट चौड़ाई के 9 टीन शैड बनाए गए हैं, जिनसे वर्षा जल को फार्म पोंड में एकत्र किया जाता है.
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सीकर. राजस्थान का सीकर जिला खेती के साथ-साथ गोशाला में नवाचारों के लिए भी पहचान बना रहा है. जिले के कई गांवों में युवा नई तकनीकों के जरिए गोशालाओं का संचालन कर रहे हैं. इन्हीं प्रयासों में शामिल है श्रीराम गोशाला, जो सीकर के लोसल कस्बे में स्थित है. यह गोशाला तीन गांवों के लोगों के सहयोग से शुरू की गई थी और अब अपने नवाचारों के कारण अलग पहचान बना चुकी है.
श्रीराम गोशाला में बारिश के पानी को सहेजकर निराश्रित गोवंश की सेवा की जा रही है. यहां 110 गुणा 40 फीट चौड़ाई के 9 टीन शैड बनाए गए हैं, जिनसे वर्षा जल को फार्म पोंड में एकत्र किया जाता है. इसी पानी का उपयोग पूरे साल गायों की सेवा के लिए किया जाता है. गोशाला के अध्यक्ष सत्यनारायण कालिका ने बताया कि निराश्रित गोवंश की मदद के लिए ग्रामीणों ने आगे बढ़कर सहयोग किया, जिसके बाद गोशाला को सशक्त बनाने के प्रयास शुरू किए गए.
इतिहास से जुड़ी है गोशाला की स्थापनाइस गोशाला के लिए सैकड़ों साल पहले दांता के ठाकुर मदन सिंह ने भूमि दान की थी. इसके बाद दर्शनदास महाराज ने यहां गोशाला की स्थापना करवाई. आगे चलकर दानदाता श्रीराम साबू के सहयोग से चारागाह का विकास किया गया. वर्तमान में गोशाला में करीब 400 बेसहारा गायें रह रही हैं. ग्रामीणों और दानदाताओं के सहयोग से यहां सात गोआवास गृह, पानी का पोंड, तीन चारागृह और एक गेस्ट हाउस का निर्माण किया गया है. समिति पदाधिकारियों के अनुसार हाइवे के नजदीक स्थित इस गोशाला में करीब एक करोड़ रुपये के निर्माण कार्य चल रहे हैं और भविष्य में यहां एक हजार गायों को रखने की क्षमता विकसित की जाएगी.
कम पानी में हरियाली, लगाए गए 5100 पौधेश्रीराम गोशाला में अब तक 5100 पौधे लगाए जा चुके हैं. गोशाला अध्यक्ष सत्यनारायण कालिका ने बताया कि पद्मश्री सुंडाराम के नेतृत्व में विकसित एक लीटर पानी से सिंचाई की तकनीक अपनाई जा रही है, जिससे पानी की बड़ी बचत हो रही है. इस तकनीक से पहले बंजर पड़ी गोशाला की जमीन अब धीरे-धीरे हरी-भरी हो रही है. कम पानी में पौधे और पेड़ अच्छी तरह फल-फूल रहे हैं. गोशाला से जुड़ी कई समितियां भी बनाई गई हैं, जिनके माध्यम से लोग दान और सहयोग करते हैं.
गायों के साथ मनाए जाते हैं शुभ अवसरलोसल और आसपास के गांवों के लोग अपने जन्मदिन और अन्य शुभ अवसरों पर गोशाला पहुंचकर गायों को गुड़ और हरा चारा खिलाते हैं. इसके साथ ही गोवंश के रखरखाव के लिए दान भी देते हैं. ग्रामीणों की यह सहभागिता गोशाला के लिए जीवनदान साबित हो रही है. सरकार की ओर से भी श्रीराम गोशाला को फंड दिया जा रहा है. इसके अलावा गोशाला से निकलने वाला गोबर किसानों को दिया जाता है, जिससे वे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.
About the AuthorAnand Pandey
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
Location :
Sikar,Rajasthan
First Published :
December 24, 2025, 21:22 IST
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सैकड़ों साल पुरानी जमीन पर आधुनिक सोच, सीकर गोशाला की कहानी जानकर चौंक जाएंगे



