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shubhman gill preparation: बोरिंग काम करके शुभमन गिल बनेंगे बेस्ट बल्लेबाज, कप्तान के काम करने का नायाब तरीका

नई दिल्ली. सबसे बेहतर कहलाने के लिए दिन-प्रतिदिन नीरस और उबाऊ काम करते रहना होता है बिना किसी की नज़रों में आए, अभ्यास के लिए जाना और कभी भी शॉर्टकट का सहारा न लेना ही इस तमगे को हासिल करने का एक मात्र रास्ता है. शुभमन गिल की महानता की ओर बढ़ना इसी शाश्वत सत्य पर आधारित है. खेल उत्कृष्टता के प्रति जुनून से परिभाषित होता है और हर बार जब आप मैदान पर उतरते हैं, तो अपनी सीमाओं को पार करते हैं. और हर बार जब आप असफल होते हैं, तो आप फिर से तैयारी करते हैं और बेहतर और मज़बूत होकर लौटते हैं. पूर्णता की खोज का यही अर्थ है पर कोई भी दिन कभी पूर्ण नहीं होता, और खोज हमेशा एक अपूर्ण दिन में भी पूर्ण होने की होती है.

शुभमन गिल इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं. उन्होंने इस श्रृंखला के पहले टेस्ट में शतक नहीं बनाया. वह नई दिल्ली में बड़ा प्रदर्शन करने के लिए दृढ़ थे और हाँ, टेस्ट शतक तो टेस्ट शतक होते हैं आप अपने विरोधी को नहीं चुनते, और ट्रोल करने वाले उनसे चाहे जितना भी नफ़रत करें, वह कप्तान और बल्लेबाज़ के रूप में शानदार काम कर रहे हैं. सात टेस्ट मैचों में पांच शतक इसका प्रमाण हैं और अब तक गिल ने लाल गेंद के कप्तान के रूप में कोई गलती नहीं की है.

हर प्रैक्टिस सेशन एक मैच है

दुबई में भी उनके बेस्ट बनने की चाहत की एक झलक मिली थी पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले भारत का एक वैकल्पिक प्रशिक्षण सत्र था, और तीन खिलाड़ी अभ्यास के लिए आए थे – गिल, अभिषेक शर्मा और वरुण चक्रवर्ती. और अगले दिन गिल और अभिषेक ने ही पाकिस्तान को धूल चटाई. गिल, जिन्होंने ओमान के खिलाफ कोई रन नहीं बनाया था, कट और पुल में निपुणता हासिल करने की कोशिश कर रहे थे. इसके बाद, उन्होंने अपने सभी स्ट्रोक्स का इस्तेमाल किया और कुछ साहसिक शॉट खेले. प्रशिक्षण सत्र के अंत तक, वह मैच के लिए तैयार थे. उनका आत्मविश्वास वापस आ गया था, और मानसिक रूप से भी वह बेहतर महसूस कर रहे होंगे. उनके लिए, यह उनकी सर्वश्रेष्ठ तैयारी के बारे में था, और अंत में यही मायने रखता है.

बोरिंग काम से बैटिंग जीनियस बनने का सफर 

गिल के साथ, पिछले तीन महीनों में उत्कृष्टता की इस जुनूनी चाहत को सभी जामकारों ने महसूस किया है. वह समय पर प्रशिक्षण के लिए आते हैं, और उसके बाद एक ऐसी नीरसता के साथ अपनी दिनचर्या में लग जाते हैं जो आपको बहुत कम देखने को मिलती है. वह अपनी फील्डिंग ड्रिल करते हैं और फिर लंबे समय तक बल्लेबाजी करते हैं. और एक बार जब बल्लेबाजी का यह दौर खत्म हो जाता है, तो आप उन्हें फील्डिंग कोच टी. दिलीप के साथ विशेष कैचिंग अभ्यास करते हुए देखेंगे, और फिर सत्र के अंत में छोटी-छोटी दौड़ें लगाएँगे. इसी प्रशिक्षण ने गिल को भारत का अगला बड़ा क्रिकेट स्टार बनाया है.अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण और दिन-रात आत्म-अनुशासन. सच तो यह है कि उत्कृष्टता मैच के दिनों में हासिल नहीं होती. बल्कि, यह तो बस रोज़मर्रा के नीरस और उबाऊ काम करने में है और गिल इसे बखूबी कर रहे हैं.

लंबा होगा कप्तानी करियर !

इसमें कोई शक नहीं कि शुभमन गिल अब यहीं रहेंगे पिछले कुछ महीनों में उन्हें करीब से देखने के बाद, मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूँ कि उनका दिमाग बहुत स्थिर है और उन्हें पता है कि उनका काम क्या है. भारत के लाल गेंद के कप्तान होने के नाते, उन्हें पता है कि मीडिया की कड़ी निगरानी होगी फिर भी, वे बेफिक्र हैं उनके लिए, उत्कृष्टता की तलाश किसी भी चीज़ से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है, और इस समय उनका ध्यान इसी पर है। समय के साथ, गिल और भी बेहतर होते जाएँगे और आश्चर्य नहीं होगा अगर वे अगले कुछ सालों में खुद को एक नेता के रूप में उभारें.

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