Sikar: खतरे में मोचड़ी निर्माण उद्योग, कारीगरों को सरकारी संरक्षण की दरकार

राहुल मनोहर/ सीकर.राजस्थान राजा रजवाड़ों की शैली के लिए विशेष पहचाना जाता है. एक जमाने में राजा महाराजाओं सहित बड़े पदों पर आसीन लोग शान से जूतियां पहना करते थे. लेकिन वर्तमान में जूती निर्माण कारोबार दिनो दिन ठप होता जा रहा है. वर्तमान में जूतों की डिमांड कम होने की वजह जूतियां बनाने वाले हथकरघा कारीगरों का अब घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.
एक समय था जब लोग बड़े शान से जूतियां पहनते थे. जिनको बनाने के लिए लोगों को पहले आर्डर देना पड़ता था, क्योंकि जूतियां बनाने वाले के पास पहले से कई जूतियां बनाने के लिए आर्डर आए हुए रहते थे, लेकिन आजकल बाजारों में आ रही आर्टिफिशियल जूतियो व ऑनलाइन खरीदारी के चलते जूती बनाने की कला विलुप्त होने की कगार पर है. जूती निर्माण का कारोबार अब दिनों दिन खत्म होता जा रहा है. वर्तमान में चमड़े के बढ़ते भाव की वजह से जूतियां अब आम लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है. युवाओं में इसका क्रेज खत्म सा होता जा रहा है. शादी या विशेष उत्सव पर भी लोग फैंसी जूती पहनकर काम चला रहे हैं. इस कारण जूतियां बनाने कारीगरों को अब आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. वे अब इस पैशे से दूर होते जा रहे हैं. जूती बनाने की हस्तकला अब खत्म होती जा रही है. इस कला को सरकारी संरक्षण की जरूरत है. अगर इस हस्तकला को सरकारी संरक्षण नहीं मिला तो यह कला एक दिन विलुप्त हो जाएगी.
चमड़े की जूतियां बनाने वाले कारीगर का घर चलाना भी मुश्किल
कई दशकों से जूती बनाने का काम कर रहे हनुमान प्रसाद ने बताया कि जब उन्होंने जूती बनाने का काम सीखा था तब इस व्यापार में बड़ा फायदा होता था, हमेशा पांच से दस ऑर्डर एक्स्ट्रा आए हुए रहते थे. इन जूतियों को बनाने के लिए एक्स्ट्रा कारीगरों को रखना पड़ता था. लेकिन दिनो दिन घटती जूतियो की डिमांड और ऑनलाइन खरीदारी के कारण अब मुश्किल से एक महीने में तीन से चार जूती बनाने का काम ही आता है. जिस कारण से अब हमारा घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है.
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FIRST PUBLISHED : July 17, 2023, 21:02 IST