Sindhi gheeyar is especially sent to sisters and daughters on Holi – News18 हिंदी

निशा राठौड़/उदयपुर: सिंधी समाज में होली पर रंग, गुलाल लगाने के साथ होली स्पेशल मिठाई घेवर खिलाकर मुंह मीठा कराने की बरसों पुरानी परंपरा है. इन दिनों शहर के मुख्य बाजारों में यह मिठाई बनने लगी है. सिंधी समाज की और से यह मिठाई खास तौर पर होली के मौके पर अपनी बहनों और बेटियों के घर भी भेजी जाती है.
उदयपुर शहर के सिंधी समाज के लोगों ने बताया कि सिंधी समाज के लोग जब पाकिस्तान से भारत आए थे तब उन्हीं के साथ यह खास रेसिपी वह लेकर आए थे. तभी से सिंधी समाज के लोग होली के मौके पर खास सिंधिया बनाते हैं. यह मिठाई सिर्फ होली के 10 दिनों तक ही बनाई जाती है और परिवार के सदस्यों के यहां एक दूसरे के यहां होली पर भेजने की परंपरा है. इन दिनों उदयपुर शहर के प्रमुख सिंधी क्षेत्र में यह मिठाई खूब ज्यादा बन रही है. इस मिठाई की खासियत यह भी है कि यह बाहर रहने पर भी करीब 10 से 15 दिनों तक खराब नहीं होती.
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क्या है सिंधी घेवर
उदयपुर में सिंधी घीयर की स्टॉल लगाने वाले दुकानदार हनी तलरेजा ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि सिंधी घेवर जलेबी का बड़ा रूप है. देखने में ये जलेबी की तरह होता है, लेकिन जलेबी कुछ ही समय बाद नर्म पड़ जाती है जबकि सिंधी घेवर 15 दिन तक खराब नहीं होता. धीमी आंच में तल कर इसे चाशनी में डुबोया जाता है तो केसरिया रंग और अधिक निखर कर आ जाता है.
इसे बनाने का तरीका भी है खास
दरअसल, इस घेवर को बनाने का तरीका भी बेहद खास है. जलेबी में इंस्टेंट खमीर उठाया जाता है, जबकि सिंधी घेवर बनाने के लिए तीन दिन तक खमीर उठाया जाता है. उसके बाद घोल से कारीगर बहुत ही तरीके से घेवर को आकार देते हैं. खमीर उठने से इसमें मिठास के साथ जो खट्टापन आता है वह बेमिसाल होता है और यह स्वाद सिंधी घेवर की सबसे बड़ी खासियत होती है. मैदे और ड्रायफूट व बर्क लगा कर इसे सजाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : March 19, 2024, 13:49 IST