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टूटी हड्डियों को जोड़ने और घाव को भरने के लिए सबसे कारगर है औषधि, घर पर इस तरह करें उपयोग

Last Updated:April 14, 2025, 17:54 IST

Jaipur News : गांगड़ी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग जोड़ों की समस्याओं, हड्डियों की मरम्मत, बुखार, घाव, त्वचा रोग और पाचन समस्याओं में होता है. डॉक्टर बजरंग लाल देवत ने इसके लाभ बताए.X
गांगड़ी
गांगड़ी का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में भी होता है. 

हाइलाइट्स

गांगड़ी आयुर्वेदिक औषधि हड्डियों की मरम्मत में सहायक हैगांगड़ी का उपयोग बुखार, घाव, और पाचन समस्याओं में होता हैगांगड़ी की पत्तियों का लेप घाव पर लगाने से जल्दी भरता है

जयपुर. प्रकृति में ऐसे अनेकों पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, ऐसी ही एक औषधि है गांगड़ी, इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में भी होता है. घरेलू नुस्खे में भी इसका उपयोग पुराने समय से होता आ रहा है. आयुर्वेदिक डॉक्टर बजरंग लाल देवत ने बताया कि गांगड़ी जड़ीबूटी एक पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे विशेष रूप से और जोड़ों से संबंधित समस्याओं के उपचार में उपयोग किया जाता है. इसे बुखार, घाव भरने, त्वचा रोगों, और पाचन संबंधी समस्याओं में उपयोग किया जाता है.

गांगड़ी जड़ीबूटी के प्रमुख फायदेआयुर्वेदिक डॉक्टर बजरंग लाल देवत ने बताया कि गांगड़ी का उपयोग टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने और उन्हें मजबूत बनाने में किया जाता है. इसके सेवन से हड्डियों की मरम्मत की प्रक्रिया तेज होती है. इसके अलावा यह जड़ीबूटी गठिया, कमर दर्द, घुटनों के दर्द और अन्य जोड़ों की समस्याओं में लाभकारी है. डॉक्टर ने बताया कि गांगड़ी में कार्मिनेटिव गुण होते हैं, जो अपच, गैस और पेट फूलने जैसी समस्याओं में राहत प्रदान करते हैं. इसके तने और जड़ के रस का उपयोग घावों पर करने से वे जल्दी भरते हैं और संक्रमण का खतरा कम होता है. गांगड़ी का सेवन महिलाओं में ल्यूकोरिया (सफेद पानी) और मासिक धर्म संबंधी समस्याओं में लाभकारी हो सकता है.

गांगड़ी जड़ी-बूटी का उपयोग कैसे करेगांगड़ी जड़ी-बूटी का उपयोग पारंपरिक आयुर्वेदिक या लोक चिकित्सा पद्धतियों में विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर बजरंग लाल देवत ने बताया कि घाव और चोट के आराम के लिए गांगड़ी की पत्तियों को पीसकर लेप बना लें और घाव पर लगाएं. यह संक्रमण को रोकने और घाव को जल्दी भरने में मदद करती है. इसके बुखार में इसकी सूखी जड़ या पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और दिन में एक या दो बार सेवन करें. बुखार को कम करने और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक मानी जाती है. पाचन संबंधी समस्या में इसकी पत्तियों या जड़ का काढ़ा बनाकर पिया जाता है. गैस, अपच या पेट दर्द में राहत मिलती है.

Location :

Jaipur,Rajasthan

First Published :

April 14, 2025, 17:54 IST

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टूटी हड्डियों को जोड़ने, घाव को भरने के लिए सबसे कारगर है औषधि, ऐसे करें उपयोग

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