छोटा फल बड़ा असर, साल में सिर्फ 4 महीने मिलता है ये फल, दिमाग के लिए असरदार, सर्दी में नहीं पड़ेगी दवा की जरूरत

जयपुर. सर्दियां आते ही राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान का सेब ‘बेर’ दिखाई देने लगा है. ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं द्वारा उन्हें तोड़कर बाजार में बेचना शुरू कर दिया है. अभी शुरुआती समय में जयपुर में इसकी कीमत 40 से 70 रुपए प्रति किलो है. आमतौर बेर की झाड़ी पर फल लगने की शुरुआत दिसंबर महीने में होती है, इसके बाद मार्च तक यह फल लगते हैं. ऐसे में साल में केवल 4 महीने ही बेर का फल खाने को मिलता है. झाड़ियां पर लगने वाला लाल चिरमी बेर खाने में खट्टा मीठा और बेहद स्वादिष्ट लगता है. इसे खाने के कई आयुर्वेदिक फायदे भी हैं.
आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि बेर एक पौष्टिक फल है जिसे आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा में स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना गया है. वहीं आमतौर पर बेर को कच्चा खाया जाता है. वहीं इसे जूस या अचार के रूप में भी लिया जा सकता है. सूखे बेर (चूरन या मुरब्बा) का भी सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है.
बेर खाने के फायदेडॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि बेर में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है. यह कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिला सकता है. इसके अलावा बेर में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं. यह सर्दी-जुकाम और संक्रमण से बचाव करता है. वहीं बेर त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं और हड्डियों को मजबूत करते हैं. डॉक्टर के अनुसार बेर मस्तिष्क के लिए भी लाभकारी होते हैं. वजन घटाने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है. इसके अलावा बेर दिल को स्वस्थ रखता है और श्वसन तंत्र को सुधारता है
बेर के धार्मिक महत्वबेर के पेड़ का भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष महत्व है. इसका उल्लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों, कथाओं और अनुष्ठानों में मिलता है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि रामायण में शबरी की कथा में उल्लेख मिलता है कि शबरी ने भगवान राम को बेर फल खिलाए थे. यह कथा भक्ति और समर्पण का प्रतीक है. बेर का वृक्ष भारतीय परंपराओं में पूजनीय माना जाता है. इसे विशेष रूप से ग्रामीण भारत में पूजा जाता है. वट सावित्री व्रत और पंचमी पूजा में बेर का उपयोग किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 5, 2024, 13:11 IST
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