Rajasthan

These huts are called huts that lay golden eggs – News18 हिंदी

मनीष पुरी/भरतपुर: आपने मशरूम उत्पादन तो बहुत जगह देखा होगा और हर जगह मशरूम का उत्पादन किया जाता है. लेकिन हम आज आपको बता रहे हैं मशरूम उत्पादन का ऐसा तरीका जो आप ने अभी तक देखा नहीं होगा. जी हां आज हम आप को बता रहे है एक ऐसी झोपड़ी की जिसमें मशरूम का बेहतर और अधिक मात्रा में उत्पादन किया जा रहा है.

यह मशरूम उत्पादन भरतपुर के ग्रामीण इलाके के गांव नगला गोपाल के पास झोपड़ियो में किया जा रहा है. उत्पादन करने वाले अभयवीर सोलंकी ने बताया कि वह एक बीघा खेत में लगभग 10 झोपड़ियो में मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. इन झोपड़ियो में बासों पर घास फूस लगाकरऔर अलग अलग ब्लॉक बनाकर मशरूम उत्पादन किया जा रहा है.वहीं अभयवीर सोलंकी बताते हैं कि हमने झोपड़िया में मशरूम उत्पादन करने का आईडिया उत्तराखंड के रहने वाले हमारे एक दोस्त के यहां से सीखा था और हमें हर ब्लॉक में करीब 2 लाख रुपए की लागत आई थी.

10 झोपड़ी से 25 लाख आती है लागत
अभयवीर सोलंकी बताते हैं कि अब वह 10 झोपड़ियों से 25 लाख का मुनाफा कमा चुके हैं. इन झोपड़ियो में मशरूम उत्पादन को देखने के लिए आस-पास के किसान और लोग भी आते हैं. मशरूम की खेती करने वाले किसान अभयवीर ने बताया कि वह अपने दोस्त के यहां से इस तरीके को सीखकर आए थे. उत्तराखंड में यह तरीका अपनाया जा रहा था तो उन्होंने भरतपुर में इसे आजमाया और वह सफल भी हुए. उनका कहना है कि आगे इसे और बढ़ाया जाएगा, एक झोपड़ी से प्रतिदिन 35 किलो से अधिक मशरूम का उत्पादन हो जाता है जिसे कई राज्यों में सप्लाई किया जा रहा है. अभय वीर बताते हैं कि इन झोपड़ियां को एक तरीके से हम सोने के अंडा देने वाली झोपड़ी भी कह सकते हैं.

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