Rajasthan

Snake Bitten On Set, But Did Not Break Spirits: Yogendra Singh Parmar – सेट पर सांप काटा, लेकिन हौंसले नहीं टूटे :योगेन्द्र सिंह परमार

टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पहुंची फिल्म ‘डुग डुग’
प्रमुख भूमिका में नजर आएंगे शहर के योगेन्द्र सिंह परमार
ऑस्कर नॉमिनेड डायरेक्टर माजिद मजीदी की फिल्म ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’ में भी कर चुके हैं काम

जयपुर।
शूटिंग करते अचानक लगा पैर में किसी ने काटा है लेकिन ध्यान नहीं दिया और शूटिंग करता रहा। कुछ समय बाद पैर में सूजन बढ़ गई और आंखों में धुंधलापन आ गया तो मेरे सीनियर मुझे अस्पताल ले गए। तब पता चला कि सांप ने काट लिया था। डॉक्टर ने मुझे ठीक कर दिया। तीन दिन बाद मैंने फिर शूटिंग जॉइन कर ली। यह कहना है कि टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2021 (टिफ) में पहुंची भारतीय फिल्म ‘डुग डुग’ में भूमिका में जयपुर शहर के युवा एक्टर योगेन्द्र सिंह परमार का। फिल्म का निर्देशन शहर के ही रित्विक पारीक ने किया है। योगेन्द्र ने बताया कि राजस्थानी परिवेश और भाषा की खूबसूरती के साथ देश दुनिया की ऑडियंस को यह फिल्म पसंद आएगी। फिल्म पूरी तरह से राजस्थान में ही शूट हुई और अधिकांश कलाकार राजस्थान से ही हंै। इसमें मेरे साथ अल्ताफ हुसैन, गौरव सोनीख् दुर्गालाल सैनी प्रमुख भूमिकाओं में है। हालही में टिफ की ओर से फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया। योगेंद्र ऑस्कर नॉमिनेड डायरेक्टर माजिद मजीदी की फिल्म ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’ में भी काम कर चुके हैं।
रित्विक की वर्किंग स्टाइल ने किया इम्प्रेस
योगेन्द्र ने बताया कि डायरेक्टर रित्विक पारीक ने इस फिल्म को पूरे दिल से बनाया है और रिसर्च वर्क के साथ अपने विजन से फिल्म को यादगार बनाया है। जब तक रित्विक को सीन अच्छे से नहीं मिलता था, वे उसे बेहतर बनाने में दिन रात लग जाते थे। अपने अंदाज और वर्किंग स्टाइल के कारण उन्होंने मुझे इम्प्रेस किया है।
जेकेके में पता चली एक्टिंग की ताकत
योगेंद्र कहते हैं फिल्मों के प्रति बचपन से एक झुकाव था और एक्टिंग करने की इच्छा थी लेकिन पता नहीं था यह सीखी जाती है। एक दिन जेकेके पहुंचा और नाट्य निर्देशक साबिर खान की वर्कशॉप जॉइन की। इस दौरान एनएसडी के दौलत वैद के निर्देशन में नाटक ‘महानिर्वाण’ में छोटी सी भूमिका निभाई। यहां से एक्टिंग की ताकत और इसके महत्व के बारे में पता चला। मैं मंच पर था और सैंकडों लोग ऑडिटोरियम में तालियां बजा रह थे। इसके बाद नाटकों का सिलसिला चल फिर नाटय गुरु भारत रत्न भार्गव के नाटयकुलम जॉइन किया और एक साल का भारतीय रंगमंच पर डिप्लोमा किया। डिप्लोमा के समापन पर टैगोर का लिखा नाटक ‘विसर्जन’ में लीड कैरेक्टर करने का मौका मिला और लोगों से जमकर तारीफ मिली।
रंगमंच का साथ बना रहा
फिर संस्कृति मंत्रालय से स्कॉलरशिप अवॉर्ड हुई। संकेत जैन के नाटक ‘वेटिंग फॉर गोडो’ के पोजो, विशाल विजय के नाटक ’12एंग्री मैन’ के नम्बर तीन और ‘उदृवस्त धर्मशाला’ के काका और अभिषेक गोस्वामी के नाटक ‘गगन दमामा बाज्यो’ के सुखदेव के किरदारों ने जयपुर रंगमंच में पहचान मिली। इसके बाद नाटय निर्देशक के रूप में ‘मेरी ताल’,’गलत को खेल’और ‘एन एनिमी ऑफ द पीपुल’ काम किया।

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