किसान ने गांव में तैयार कर दिया ईको विलेज टूरिज्म सिस्टम, यहां रोजाना आते हैं 150-200 पर्यटक

राहुल मनोहर/सीकर. जिले में एक किसान ने अपने खेत में खेती के साथ-साथ ईको विलेज टूरिज्म सिस्टम डेवलप किया है. वह ज्वार-बाजरा उगा रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, इसके साथ ही वह मसाले की भी खेती करके ऑर्गेनिक मसाले तैयार कर रहे हैं. 2005 में उन्होंने एक नवाचार किया और अपने खेत में गोबर मिट्टी से लग्जरी रूम तैयार किया है, जिसके कारण उनका खेत अब एक प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है.
यहीं नहीं, यहां पर रोजाना 150 से भी ज्यादा देसी और विदेशी पर्यटक आकर्षित हो रहे हैं. किसान को खेती, पशुपालन, और टूरिज्म से सालाना डेढ़ करोड़ तक का मुनाफा हो रहा है. वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, सिर्फ़ साक्षर किसान हैं. आज हम आपको सीकर के किसान कान सिंह निर्वाण के बारे में बताएंगे, जिन्होंने राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अवॉर्ड जीते हैं. किसान कान सिंह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की कृषि सलाहकार समिति में भी सदस्य हैं. प्रधानमंत्री मोदी को वह किसानों की आय बढ़ाने के सुझाव देते हैं. इसके साथ ही राजस्थान में कृषि बजट पेश किया गया, और तब भी कान सिंह ने यहां के किसानों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे.
कान सिंह का कहना है कि किसान की आय दोगुनी नहीं बल्कि 10 गुना हो सकती है. इसके लिए उन्होंने अपने खेत को एक मॉडल और प्रयोगशाला बना दिया है, जहां वे गिर नस्ल की गायें और घोड़े पाल रहे हैं. आगंतुकों को खेत के भोजन का स्वाद चखाते हैं, और वह वहां पर ऑर्गेनिक और आयुर्वेदिक औषधीय पौधों को तैयार करने की विधियों को सिखाते हैं. वे प्रोसेसिंग यूनिट में शुद्ध आहार तैयार करने का प्रशिक्षण भी देते हैं। सीकर की जोर की ढाणी में गोबर मिट्टी से बने हट (झोंपड़ी) का सबसे खास आकर्षण है, जहां पर्यटक हर दिन 1200 से 4000 रुपए किराए पर रहकर कुदरत के साथ जीवन का आनंद ले सकते हैं. वहां पर शुद्ध और सात्विक आहार का आनंद उठा सकते हैं, और घुड़सवारी भी कर सकते हैं. इस सारे कारोबार को कान सिंह, उनकी पत्नी, और बेटे ने संभाला है.
100 बीघा जमीन में खड़ा किया ऑर्गेनिक एम्पायर
कान सिंह बताते हैं कि उनके पास 100 बीघा पुश्तैनी जमीन है, जिस पर 40 बीघा में खेती हो रही है और 60 बीघा में जोर की ढाणी प्रोजेक्ट तैयार किया है. वे इस जंगल को लकड़ी और कंक्रीट से तैयार किया हैं और इसे एक अद्वितीय प्रोजेक्ट में बदल दिया है. जोर की ढाणी में उनका प्रमुख ध्यान सबसे पहले शुद्ध सात्विक आहार पर है, फिर कुदरती वातावरण पर, और उसके बाद फैसिलिटीज पर है. यह एक अनोखा प्रोजेक्ट है जिसमें पर्यटकों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने का मन किया जाता है, और यह एक प्राकृतिक और प्राकृतिक इलाज केंद्र के रूप में कार्य करता है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2023, 20:51 IST