Rajasthan

social activist discussed mnrega implementation in rajasthan | कम काम पर सरकारी कार्मिकों का वेतन भी मनरेगा की तरह कटे

जवाबदेही धरने में रोजगार गारंटी योजना पर चर्चा, कानून को लेकर निकाली रैली,

 

जयपुर

Published: March 10, 2022 09:21:15 pm

जयपुर. सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान, राजस्थान संस्था की ओर से शहीद स्मारक पर चल रहे जवाबदेही धरने में गुरुवार को महात्मा गांधी नरेगा एवं ग्रामीण रोजगार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर जन सुनवाई हुई। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि कांग्रेस ने घोषणा पत्र में जवाबदेही कानून लाने का वादा किया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यह वादा निभाना चाहिए।
राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष नोरती बाई ने कहा कि मनरेगा मजदूर यदि थोड़ा भी कम काम करते हैं तो उनकी मजदूरी काटी जाती है। यही व्यवस्था सरकारी कार्मिकों पर भी लागू की जानी चाहिए। कम काम करने पर उनकी भी तनखा काटी जाए। सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद मनरेगा कानून आया था। ऐसे ही राज्य में जवाबदेही कानून नहीं आने तक हम लड़ाई जारी रखेंगे। पीयूसीएल की राज्य अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि जवाबदेही के इस आंदोलन को अब हम हर नरेगा मजदूर के घर-घर तक ले जाएंगे। राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन से जुड़ी मिश्री देवी ने कहा कि प्रशासन की वजह से गरीब और वंचित लोग मनरेगा का फायदा नहीं ले पा रहे हैं।

कम काम पर सरकारी कार्मिकों का वेतन भी मनरेगा की तरह कटे

निखिल, कविता को रोका, संगठनों ने जताया विरोध धरने के तहत सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से जवाबदेही कानून की मांग को लेकर सिविल लाइन्स फाटक तक रैली निकाली गई। इसके बाद निखिल डे के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल विधानसभा में प्रशासनिक सुधार विभाग के मंत्री गोविंद मेघवाल से मिलने पहुंचा। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने डे और कविता श्रीवास्तव को विधानसभा में प्रवेश से रोक दिया। अन्य सदस्य मंत्री से मिले। इस पर संगठनों ने विरोध जताते हुए इसे सरकार का तानाशाही रवैया बताया है। इधर, ज्योतिनगर थानाधिकारी सरोज धायल ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल आया था। विधानसभा से जिनकी अनुमति मिली वो भीतर गए, शेष को बाहर रोक दिया गया।

न्यूनतम मजदूरी से भी कम मनरेगा मजदूरी मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य शंकर सिंह ने कहा कि मनरेगा मजदूरी राजस्थान की की न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। नरेगा की मजदूरी 221 रु है जबकि न्यूनतम मजदूरी 252 रु है। औज़ार भत्ते का भी कोई प्रावधान नहीं है। वक्ताओं ने राज्य सरकार की शहरी रोजगार गारंटी और मनरेगा में 125 दिन काम की घोषणा का स्वागत किया।

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