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सोनम वांगचुक रख रहे थे बड़ी डिमांड, इसी बीच केंद्र ने लद्दाख को लेकर उठाया ऐसा कदम, लोगों की हो गई बल्‍ले-बल्‍ले

नई दिल्‍ली. जम्‍मू-कश्‍मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बने लद्दाख में सुविधाओं के आभाव को लेकर सोनम वांगचुक ने बीते कुछ सालों में खूब विरोध प्रदर्शन किए। वो भूख हड़ताल पर भी बैठे. इसी बीच केंद्र सरकार लद्दाख के लोगों को एक बड़ी सौगात देने जा रही है. एक हाई लेवल मीटिंग के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने लद्दाख में स्थानीय लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में 95% आरक्षण देने का फैसला किया है. साथ ही पहाड़ी परिषदों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का प्रस्ताव रखा गया है. टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर में यह जानकारी भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद और लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग के हवाले से दी गई. बताया गया कि भूमि से जुड़े मामलों से संबंधित चिंताओं को दूर करने पर भी सहमति व्यक्त की गई है.

थुपस्तान छेवांग इस वार्ता का हिस्‍सा थे. उन्‍होंने कहा कि लद्दाख के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग संवैधानिक रूप से संभव नहीं है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि इस केंद्र शासित प्रदेश के पास अपनी असेंबली नहीं है. उन्‍होंने कहा, “सरकार ने हमें आश्वासन दिया है कि भर्तियां तुरंत शुरू होंगी. हमने कहा कि गजटैड पोस्‍ट के लिए भर्तियां जम्मू और कश्मीर लोक सेवा आयोग [जेकेपीएससी] के माध्यम से की जानी चाहिए. हम इसे दानिक्स [दिल्ली अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सिविल सेवा] के माध्यम से नहीं चाहते हैं.” उन्होंने बताया कि डॉक्टर, इंजीनियर जैसे राजपत्रित पदों के लिए भर्ती तुरंत शुरू होगी.

क्‍या थी लद्दाख के लोगों की मांग?5 अगस्‍त 2019 को जम्‍मू-कश्‍मीर के स्‍पेशल स्‍टेटस को खत्‍म करने के बाद केंद्र सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. जहां जम्‍मू-कश्‍मीर को विधानसभा दी गई, वहीं लद्दाख के लिए ऐसी कोई व्‍यवस्‍था नहीं थी. शुरुआत में लद्दाख के लोग इससे खुश थे, लेकिन चीन की सीमा से लगे इस क्षेत्र में 2020 में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. पिछले पांच वर्षों से, लद्दाख के लोग चार मांगों के लिए दबाव बना रहे हैं, जिसमें लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करना, तीसरा- स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण और लेह और कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट.

क्‍या थी सोनम वांगचुक की डिमांडसोनम वांगचुक चाहते थे कि लद्दाख को संविधान के छठे शेड्यूल में जगह दी जाए ताकि यहां के लोगों को आदिवासी का दर्जा मिल सके. अपनी मांगों को लेकर वो भूख हड़ताल पर भी बैठे. इसके अलावा भी उनकी कई मांगे थी. केंद्र सरकार की तरफ से भी लद्दाख के लोगों की समस्‍याओं को सुलझाने के लिए  हर संभव मदद करने का वादा किया गया था. इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह बड़ा कदम उठाया है.

Tags: Government job, Home ministry, Ladakh News

FIRST PUBLISHED : December 4, 2024, 07:05 IST

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