नवंबर माह में इस तरीके से करें जीरे की बुआई, दोगुने उत्पादन से किसान होगा मालामाल
बाड़मेर. फसल उत्पादन-गुणवत्ता की दृष्टि से प्रमुख मसालों में शुमार जीरा सबसे ज्यादा पश्चिम राजस्थान में होता है. बाड़मेर- जैसलमेर और जालौर की शुष्क परिस्थितियां जीरा उत्पादन के लिए बहुत माकूल है. माना जाता है कि बाड़मेर के धोरीमन्ना, गुड़ामालानी बेल्ट में दुनिया का सबसे उम्दा किस्म का जीरा उगता है. कृषि एक्सपर्ट बताते है कि बुआई से पहले जीरे को पानी मे भिगोकर नमी देनी चाहिए जिससे यह जल्दी अंकुरित होता है और अच्छी पैदावार होती है.
खाने का जायका बढ़ाने वाला पश्चिमी राजस्थान का जीरा देश और विदेशों में अपनी खास पहचान रखता है और इसकी डिमांड भी खूब होती है. सालाना अरबों रुपए के जीरे का व्यापार पश्चिमी राजस्थान के जालोर-सांचौर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली जिलों से होता है. ऐसे में यहां किसान उन्नत तकनीक से जीरे की बुआई करते है जिससे अच्छा उत्पादन होता है. सरहदी बाड़मेर के किसान जीरे में हल्की नमी पैदाकर फिर इसकी बुआई करते है ताकि जल्दी अंकुरित हो सके.
बाड़मेर कृषि वैज्ञानिक बाबूराम राणावत ने लोकल18 से बातचीत करते हुए कहा कि जीरे की खेती के लिए सबसे पहले खेत को तैयार करना पड़ता है. इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई और देशी हल या हैरो से दो या तीन उथली जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए. इसके बाद 5 से 8 फीट की समान आकार की क्यारियां बनानी चाहिए जिससे बुवाई एवं सिंचाई करने में आसानी रहे.
इसके बाद 2 किलो बीज प्रति बीघा के हिसाब से लेकर 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम नामक दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए. कतारों में बुवाई सीड ड्रिल से आसानी से की जा सकती है. जीरे की खेती के लिए साधारण शुष्क एवं ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. सर्दियों में बोई जाने वाली फसल गर्मी आते आते पकने और कटने के लायक हो जाती है.
राणावत के मुताबिक शुष्क और गर्म मौसम में जीरे की अच्छी पैदावार की जा सकती है. इसकी खेती के लिए सामान्य पीएच मान की बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है. ज्यादातर किसान इसे रबी की फसल के साथ में भी बोते हैं. जीरे की फसल के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त माना जाता है. 10 डिग्री सेल्सियस के कम तापमान पर पौधे पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है.
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FIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 17:16 IST