पीएम के साथ वीसीः कोरोना पर 8 मुख्यमंत्री रख पाए अपनी बात, गहलोत को नहीं मिला मौका | Gehlot did not get a chance to suggest in VC with PM

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीसी के जरिए की बैठक
जयपुर
Published: January 13, 2022 10:25:49 pm
जयपुर। देशभर में कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों से चिंतित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम 5 बजे देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक करके अलर्ट रहने के निर्देश दिए। हालांकि इस दौरान केवल 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ही अपनी बात रखने का मौका मिला। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी बात नहीं रख पाए, जिसे लेकर अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करके भी इस बात की पुष्टि की है।

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए अपने सुझाव सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं। सीएम ने कहा कि, केन्द्र सरकार ने फिलहाल कोविड वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज 60 साल से अधिक आयु के को-मोर्बिड व्यक्तियों को लगाने के निर्देश दिए हैं।
चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक को-मोर्बिड की स्थिति हर आयु वर्ग में देखने को मिलती है, इसलिए प्रिकॉशन डोज सभी के लिए उपलब्ध हो। सीएम ने कहा कि दूसरी डोज के बाद प्रिकॉशन डोज के लिए 9 माह का अन्तराल रखा गया है, जो काफी अधिक है। इसे 3 से 6 माह किया जाना उचित होगा, क्योंकि समय के साथ वैक्सीन का प्रभाव कम होने लगता है।
दुनिया के कई देशों में 2 साल की आयु तक के छोटे बच्चों को वैक्सीन लग रही है, लेकिन भारत में फिलहाल 15 से 18 साल तक के किशोर वर्ग का वैक्सीनेशन हो रहा है। चूंकि हमारे देश के बच्चों में पोषण से संबंधित समस्याएं पहले से ही हैं। ऐसे में इतने बड़े मुल्क में छोटे बच्चों का वैक्सीनेशन जल्द शुरू होना जरूरी है।
सीएम गहलोत ने कहा कि दुनिया के विकसित राष्ट्रों में वैक्सीनेशन की गति काफी अधिक है, जबकि अल्प विकसित एवं गरीब देशों में इसका प्रतिशत अपेक्षाकृत काफी कम है तथा सुनने में आता है कि वे इस पर होने वाले व्यय को वहन नहीं कर पा रहे हैं। यह चिंताजनक है, क्योंकि किसी भी देश में यह महामारी रहने से पूरी दुनिया को खतरा बना रहेगा।
कोरोना वायरस का मिजाज जिस तरह से बदलता है, उस स्थिति में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा का व्यापक विस्तार जरूरी है। वर्तमान में देश में यह सुविधा नगण्य स्तर पर उपलब्ध है। संतोष की बात है कि राजस्थान में तीसरी लहर में हर सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग का प्रयास किया जा रहा है, जिससे हमें ओमिक्रॉन के बढ़ते केसों का पैटर्न पता चल सका है। अब तक की गई जीनोम सिक्वेंसिंग में 92 प्रतिशत केस ओमिक्रॉन से संक्रमित पाए गए हैं।
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