Special Tradition: रुंडेड़ा में 458 साल पुरानी परंपरा के साथ रंग तेरस महोत्सव का भव्य आयोजन, तलवारबाजी और आग के गोलों से रोमांचक प्रदर्शन

उदयपुर. उदयपुर जिले के वल्लभनगर क्षेत्र के रुंडेड़ा गांव में हर साल रंग तेरस का आयोजन पारंपरिक भव्यता के साथ किया जाता है. 458 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में गैर नृत्य, घूमर, तलवारबाजी और आग के गोलों से हैरतअंगेज करतब प्रस्तुत किए जाते हैं.
कैसे होता है रंग तेरस का आयोजनशुरुआत: कार्यक्रम की शुरुआत 11 बंदूकों की सलामी से होती है, जो इस आयोजन की ऐतिहासिक परंपरा को दर्शाती है।
गैर नृत्य: ग्रामीण धोती-कुर्ता और कसुमल पाग पहनकर, महिलाएं पारंपरिक पोशाक में सजी-धजी गैर नृत्य और घूमर में हिस्सा लेती हैं।
करतब प्रदर्शन: गैर नृत्य के बाद तलवारबाजी, पट्या और आग के गोलों से करतब दिखाए जाते हैं।
अंतिम रस्म: आयोजन के अंतिम चरण में नेजा निकालने की रस्म पूरी की जाती है और तोप दागकर रंग तेरस का समापन किया जाता है।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षणयह आयोजन सिर्फ स्थानीय लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजसमंद, चित्तौड़गढ़, मालवा और मध्यप्रदेश से भी हजारों लोग इसे देखने पहुंचते हैं. खास बात यह है कि विदेशों में बसे प्रवासी ग्रामीण भी इस मौके पर गांव लौटते हैं और परंपरा में हिस्सा लेते हैं. रुंडेड़ा का रंग तेरस महोत्सव ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक एकता का प्रतीक है. यह आयोजन हर साल बड़ी धूमधाम से होता है और पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल बना रहता है.
कलश रखकर महिलाओं ने किया घूमर नृत्यइस साल हुए आयोजन में गैर नृत्य देर रात तक चलता रहा. गैर नृत्य के दौरान गोले के अंदर ढोल और मादल की थाप बजती रही, जबकि पुरुष वृत्ताकार में कतारबद्ध होकर नृत्य करते रहे. महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर घूमर नृत्य किया, जिससे यह नजारा बेहद भव्य और मनमोहक बन गया.
तलवारबाजी और आग के गोलों से रोमांचक प्रदर्शनगैर नृत्य के बाद ग्रामीणों ने तलवारबाजी और आग के गोलों से खतरनाक करतब दिखाए. यह दृश्य दर्शकों के लिए रोमांचक और अद्भुत रहा. अंत में नेजा निकालने की रस्म निभाई गई और फिर तोप चलाकर रंग तेरस के समापन की घोषणा की गई.