श्रीगंगानगर, भिवाड़ी, हनुमानगढ़ विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में

Last Updated:March 12, 2025, 10:29 IST
Rajasthan News: 2023 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा गया कि हनुमानगढ़ में अकेले 684 खेत की आग दर्ज की गई. हालांकि, प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर किसान घास जला…और पढ़ें
दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में राजस्थान के तीन शहरों का नाम.
हाइलाइट्स
श्रीगंगानगर, भिवानी, हनुमानगढ़ विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल.कृषि, औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों से वायु गुणवत्ता खराब.प्रदूषण नियंत्रण के बावजूद, सुधार नहीं हो रहा.
जयपुर: राजस्थान के तीन शहर – श्रीगंगानगर, भिवानी और हनुमानगढ़ – विश्व के सबसे प्रदूषित 20 शहरों में शामिल हो गए हैं. यह जानकारी स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी IQAir द्वारा जारी एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2024 में दी गई है. श्रीगंगानगर 11वें स्थान पर है, जहां PM2.5 का स्तर 86.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) दर्ज किया गया है. भिवाड़ी 13वें स्थान पर है, जहां यह स्तर 83.1 µg/m3 है, और हनुमानगढ़ 15वें स्थान पर है, जहां यह स्तर 79.9 µg/m3 है.
इन वजहों से खराब हो रही एयर क्वालिटीविशेषज्ञों के अनुसार, इन जिलों में कृषि, औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों का मिश्रण वायु गुणवत्ता के खराब होने का मुख्य कारण है. ये सभी शहर राजस्थान की सीमाओं पर स्थित हैं और सीमा पार प्रदूषण के संपर्क में हैं. पर्यावरणविद अमन सिंह, जो हनुमानगढ़ के निवासी हैं, उन्होंने कहा, “हनुमानगढ़ हरियाणा और पंजाब की सीमा पर है, जबकि श्रीगंगानगर पंजाब की सीमा से सटा हुआ है. इन पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और घास की आग से प्रदूषण बढ़ रहा है.”
कहीं खेतों की आग तो कहीं इंडस्ट्रियल प्रदूषण ने बिगाड़ा हवा का खेल2023 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा गया कि हनुमानगढ़ में अकेले 684 खेत की आग दर्ज की गई. हालांकि, प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर किसान घास जलाते हैं, न कि पराली. “फिर भी, खेत की आग प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रही है. गंगानगर में भी यही कारण है,” सिंह ने जोड़ा. वहीं, भिवाड़ी की औद्योगिक प्रदूषण इसकी घटती वायु गुणवत्ता का प्रमुख कारण बनकर उभरी है. अलवर जिले का यह प्रमुख औद्योगिक केंद्र कई फैक्ट्रियों, रासायनिक इकाइयों और निरंतर निर्माण गतिविधियों का घर है. समस्या को और बढ़ा रहे हैं ईंट भट्टे, निर्माण इकाइयां और वाहन उत्सर्जन.
नोटिस जारी करने के बावजूद नहीं दिखा कोई असरएक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, “हालांकि ईंट भट्टों और प्लास्टर ऑफ पेरिस फैक्ट्रियों सहित औद्योगिक इकाइयों को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन कई अनुपालन नहीं कर रहे हैं या बिना दीर्घकालिक समाधान के अस्थायी रूप से बंद हैं” राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा.
अभी हवा और हो सकती है खतरनाकउन्होंने कहा, “बार-बार नोटिस और अस्थायी बंदियों के बावजूद, प्रदूषण के स्तर में कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है. औद्योगिक इकाइयां थोड़े समय के बाद फिर से संचालन शुरू कर देती हैं और निर्माण की धूल अनियंत्रित रहती है.” पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि बिना सख्त कार्रवाई और साल भर की निगरानी के, ये शहर खतरनाक वायु गुणवत्ता से जूझते रहेंगे. “अस्थायी उपाय और चयनात्मक प्रवर्तन से स्थायी परिवर्तन की उम्मीद नहीं की जा सकती,” हनुमानगढ़ के निवासी दिलशाह सिंह ने कहा.
First Published :
March 12, 2025, 10:29 IST
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