अजब-गजब रिवाजः कपड़ों पर भी नाम लिखवाती हैं इस समाज की महिलाएं, हिंदी के साथ अंग्रेजी का भी ट्रेंड
दर्शन शर्मा/सिरोही. देश में विभिन्न समुदायों की अपनी पारम्परिक वेशभूषा है. अलग-अलग राज्यों में तरह-तरह की पारम्परिक वेशभूषाएं और पम्पराएं अपनी अलग पहचान रखती हैं. आपने महिलाओं या पुरुषों को शरीर पर नाम गुदवाते कई जगह देखा भी होगा, लेकिन राजस्थान में एक जनजाति ऐसी भी है जिसमें महिलाएं रंग-बिरंगी वेशभूषा के साथ पोशाक पर अपना और परिवार के किसी सदस्य का नाम लिखवाती हैं. हम बात कर रहे हैं राजस्थान में गुजरात से सटे जिले सिरोही में बसी गरासिया जनजाति की.
गरासिया जनजाति के पुरुष पारम्परिक रूप से धोती-कमीज और महिलाएं लंबी आस्तीन वाली जैकेट पहनती हैं. इसे स्थानीय भाषा में झुलकी कहा जाता है. झुलकी के नीचे पहनने वाले वस्त्र को पोलका कहा जाता है. अलग-अलग रंगों के कपड़े से बनाए जाने वाली झुलकी को बनाने में ज्यादा मेहनत लगती है. ऐसे में कपड़े से ज्यादा सिलाई महंगी है. जिले के बाजारों में आदिवासी वस्त्र सिलने के लिए अलग से टेलर काम करते हैं, जो सिर्फ आदिवासियों के ही कपड़े सिलने का काम करते हैं. अविवाहित महिलाएं अपने नाम के साथ परिवार के किसी सदस्य के प्रति स्नेह भाव को दर्शाने के लिए उनका नाम भी साथ में लिखवाती हैं. वहीं विवाहित महिलाएं अपने नाम के साथ पति का नाम लिखवाना पसंद करती हैं.
महिलाओं में झुलकी पहनने की परम्परा पिछले करीब 40-45 वर्षों से झुलकी सिलने का काम कर रहे सांतपुर निवासी शंकरभाई ने बताया कि इस काम में उनकी विशेषज्ञता है. आदिवासी समाज में पिछले लम्बे समय से महिलाएं झुलकी पहन रही हैं. शुरू में जब वह यह काम करते थे, तब सिलाई 5-6 रुपए थी. अभी सिलाई की कीमत 250 से 400 रुपए तक आती है. वहीं झुलकी का कपड़ा करीब 150 रुपए तक पड़ता है.
अंग्रेजी में भी लिखवाती हैं नाम टेलर के पास कपड़ा तैयार करवाने के बाद आदिवासी महिलाएं इस पर नाम लिखवाती हैं. इसके लिए कपड़े पर एम्ब्रॉइड्री करवाई जाती है. समय के साथ इसमें भी बदलाव होने लगा है. कुछ वर्ष पहले ये नाम हिंदी में ही लिखवाया जाता था, लेकिन अब झुलकी पर नाम अंग्रेजी भाषा में भी लिखवाया जाता है. आज भी सामाजिक समारोह और धार्मिक मेलों रीति-रिवाजों में महिलाएं इस पोशाक को काफी पसंद करती हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 19:05 IST