Success Story: डूंगरपुर में 4 महिला ने खोला चप्पल बनाने का यूनिट, अब करती है लाखों रुपये की कमाई
रिपोर्ट – जुगल कलाल
डूंगरपुर. महिलाएं अब घर की देहरी के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर मोर्चा संभालने लगी हैं. महिला सशक्तीकरण के कई उदाहरण देश के कई हिस्सों में मिल जाएंगे. ऐसा ही एक ओर उदाहरण राजस्थान के डूंगरपुर जिले से सामने आया हैं. जहां 4 महिलाओं ने समूह से जुड़कर चप्पल बनाने काम सीखा. इन 4 महिलाओं ने मिलकर 6 महीनों में 35 लाख रुपये का कारोबार कर डाला.
जिले मे स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 4 महिलाएं चप्पल बनाकर कर परिवार की जिंदगी संवार रही है. चप्पल बनाने वाली महिला में से एक हैं कमला जो कि 5वीं, रमीला 8वीं, संगीता 12वीं और मंजुला अनपढ़ हैं. लेकिन, इन महिला को सहारा मिला राजीव का महिलाओं ने पहले चप्पल बनाने के काम को समझा और सीखा. बाद में उन चप्पल बाजार बेचा. अच्छी क्वालिटी और कंफ़र्ट के चलते देखते ही देखते चप्पल की डिमांड बढ़ने लगी. और काम शुरू करने 6 महीनों के अंदर ही 35 हजार से ज्यादा जोड़ी चप्पल बिक गए. महिलाएं बच्चों से लेकर बुढ़ो तक के लिये चप्पल बनाती हैं.
आपके शहर से (डूंगरपुर)
एक दिन बनाती हैं 80 – 90 जोड़ी चप्पल
समूह से जुड़ी अरुणा आहारी बताती हैं कि खेती बाड़ी और घर काम करने के बाद काफी समय बच जाता था. उस फ्री टाइम में सोचा कि कुछ काम किया जाए और अपना और अपने बच्चों का भविष्य सुधारा जाए. किसी से सुना राजीविका ने चप्पल बनाने का यूनिट शुरू किया हैं. इसके बाद यूनिट का पता कर समूह से जुड़ी. शुरुआती दिनों में डर लगता कि मशीन कैसे चलूंगी, मशीन में कई हाथ ना कट जाए. लेकिन तीन चार दिन काम करने के बाद लगा की काम कर सकती हूं. वहीं, अरुधा बताती हैं कि वो रोजाना 80 से 100 जोड़ी चप्पल तैयार कर लेती हैं, और एक चप्पल बनाने पर उन्हें 10 रुपये मिलते हैं.
मेलों व दुकानों में बिकती हैं चप्पल
ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर दीक्षा वैष्णव ने बताया कि 60 हजार में मशीन खरीद कर 4 महिलाए ने चप्पल बनाने का यूनिट शुरू किया. शुरुआत में एक दिन महिला 30 से 40 जोड़ी चपल बना लेती थीं. धीरे- धीरे एक दिन में चप्पल बनाने का आकडा भी बढ़ता गया. आज एक महिला दिन में आसानी से 80 से 90 जोड़ी चप्पल बना लेती हैं. महिलाएं खुद ही चप्पल सेल करने जाती हैं. महिला डूंगरपुर में जीतने भी मेले लगते हैं. उन में चपलों की दुकान लगती हैं. वहीं चप्पल होलसेल में दुकानदरों को भी बेची जाती हैं. इसके अलावा राजीविका की मदद से राजस्थान में लगने वाले अलग- अलग जगहों मेलों में भी महिला दुकान लगाती हैं.
कैसे बनती हैं चप्पल
डूंगरपुर के इस चप्पल यूनिट में 10 प्रकार की चप्पल बनाई जाती हैं. बच्चों, लेडीज़ से लेकर बड़ो तक के लिए चप्पल बनाई जाती हैं. सबसे पहले रब्बर की शिट को पैरो के नंबर के अनुसार मशीन से काटा जाता हैं. इसके बाद चप्पल में रबर की टाई डालने के लिए उसमें छेद किया जाता हैं. बाद में उसमें रबर की टाई लगाई दी जाती हैं. 6 से 7 मिनट में एक जोड़ी चप्पल बनकर तैयार हो जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 18, 2022, 13:57 IST