Supreme Court News: गंदे टॉयलेट मानवाधिकारों का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट में क्यों कही गई ये बात

Last Updated:October 21, 2025, 15:44 IST
सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट में अदालत परिसरों की गंदगी, दिव्यांग PwD और ट्रांसजेंडर के लिए सुविधाओं की कमी, महिला वकीलों की समस्याएं और प्रशासनिक विफलता उजागर हुई है.
सुप्रीम कोर्ट में टॉयलेट को लेकर रिपोर्ट पेश की गई.
गंदे टॉयलेट भी मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं. जी हां, देशभर की अदालतों में टॉयलेट की गंदगी और रखरखाव की खराब स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई है, जिसमें यह बात कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि ये समस्याएं केवल छोटी अदालतों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बड़े महानगरों की हाईकोर्ट में भी देखने को मिलती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत परिसरों में साफ सफाई की यह स्थिति प्रशासनिक और तंत्र की विफलता है. फंड का सही इस्तेमाल न होना, सफाई कांट्रैक्ट का पालन न होना और जवाबदेही की कमी इस संकट के मुख्य कारण हैं.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ज्यादातर अदालत परिसरों में दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं. व्हीलचेयर के लिए पर्याप्त जगह, रैंप और सपोर्ट बार जैसी व्यवस्थाएं न होना, समानता और गैर-भेदभाव के अधिकार का उल्लंघन है. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि अदालतों में तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के लिए अलग या जेंडर-न्यूट्रल टॉयलेट की सुविधा नहीं है, जिससे उनके अधिकार और गरिमा प्रभावित होती है.
महिला वकीलों को बड़ी दिक्कतमहिला वकीलों और स्टाफ के लिए क्रेच या चाइल्ड केयर सुविधाओं की कमी पर भी चिंता जताई गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि इससे महिलाओं के पेशेवर जीवन पर असर पड़ता है और लैंगिक समानता में बाधा आती है. रिपोर्ट में बताया गया कि निचली अदालतों की स्थिति सबसे गंभीर है, जहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इसमें स्थानीय जरूरतों के हिसाब से बजट तय करने, रोजाना सफाई और प्लंबिंग व्यवस्था की निगरानी की सिफारिश की गई है.
पीआईएल पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी रिपोर्टयह रिपोर्ट वकील रजीब कालिता की ओर से दाखिल जनहित याचिका (PIL) के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई. इससे पहले, 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी अदालत परिसरों और ट्रिब्यूनलों में पुरुषों, महिलाओं, दिव्यांगजनों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग-अलग शौचालय उपलब्ध कराए जाएं. रिपोर्ट में कहा गया कि अदालतों की मौजूदा स्थिति न्यायपालिका के कामकाज और उसकी संस्थागत गरिमा पर भी असर डाल रही है.
Gyanendra Mishra
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi..com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for ‘Hindustan Times Group…और पढ़ें
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First Published :
October 21, 2025, 15:44 IST
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गंदे टॉयलेट मानवाधिकारों का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट में क्यों कही गई ये बात



