Rajasthan

एक ऐसी लकड़ी जिसके बिना नहीं हो सकते मांगलिक कार्यक्रम, क्या आपको है इसकी जानकारी?

मनीष पुरी/भरतपुर : देवउठनी एकादशी के बाद पूरे प्रदेश भर में शादी विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों का शुभारम्भ हो गया है. शहनाईयों की मधुर स्वर लहरी वातावरण को स्वरों से सजायेंगी. आज शाम से ही लोगों का रूख ऐसे उत्सवों की ओर दिखने लगेगा शादी विवाह में कई परंपराओं का निर्वहन आज भी किया जा रहा है. जिनमें से कई पुरानी परंपराएं मानव सभ्यता के विकास जितनी ही प्राचीन हैं. आज भी लोग निभाते हैं. ऐसे ही शादी विवाह में पुरानी परम्परा को निभाने हुए तोरण का उपयोग आज भी किया जाता है. शादी विवाह में मुख्य रुप से तोरण का उपयोग किया जाता है.

इस प्रकार बनाई जाती है लकड़ी की तोरण

तोरण बनाने वाले भगवान सिंह पांचाल बताते हैं. कि हम यह तोरण लकड़ी से निर्मित करते हैं. शादी विवाह वाले घरों में यह जाती है. इस तोरण की कीमत 51 रुपए होती है. जो की शुभ कीमत होती है. इस तोरण को आम बोलचाल में चिड़िया भी कहा जाता है. शादियों में इस तोरण का विशेष महत्व होता है. इसे विशेष कर शादियों के टाइम पर ही बनाई जाती है.और शादियों के टाइम आते ही उपयोग में लिया जाता है. ये तोरण गेरू रंग से पोती (पेंट) की जाती है. इसका महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.

बता दें कि इस तोरण का पुराने समय से ही काफ़ी महत्व रहा है. पुराने समय से शादी विवाह में इसका महत्व रहा है. तोरण बनाने वाले भगवान सिंह पांचाल का कहना है. कि हम यह तोरणों का काम लगभग तीसरी पीढ़ी से करते आ रहे हैं. हमारे बाप दादा भी यही शादी विवाह में उपयोग आने वाली तोरणों का ही काम करते थे और अब हम यह काम कर रहे हैं.

Tags: Bharatpur News, Local18, Rajasthan news, Religion 18

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