Unique farewell ritual of Dhinga Gavar in Suryanagari jodhpur

Last Updated:April 16, 2025, 14:17 IST
जोधपुर में धींगा गवर महोत्सव की पूर्व संध्या पर तीजणियों ने पारंपरिक वेशभूषा में लोटियों के साथ जलाशयों की ओर प्रस्थान किया. महिलाओं ने सामाजिक संदेश भी दिए और कठोर व्रत रखा.X
धींगा गवर की अनूठी विदाई रस्म
हाइलाइट्स
जोधपुर में धींगा गवर महोत्सव की अनूठी विदाई रस्मतीजणियों ने पारंपरिक वेशभूषा में गवर माता की पूजा कीमहिलाओं ने सामाजिक संदेश भी दिए और कठोर व्रत रखा
जोधपुर:- सूर्यनगरी जोधपुर में मनाए जाने वाले अनूठे धींगा गवर महोत्सव की विदाई की पूर्व संध्या पर मंगलवार रात को धार्मिक परंपरा देखने को मिली. गवर माता की पूजा करने वाली तीजणियां पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी हुईं, सिर पर लोटियां लिए पवित्र जलाशयों की ओर निकलीं. इस मौके पर शहर के पदमसर जलाशय पर देर रात तक लोटियों के मेले की धूम रही. इस मेले को हर कोई अपने फोन में फोटो लेते नजर आया, तो वहीं इस मेले में भाग लेने विदेशी पर्यटक भी देर रात भारतीय संस्कृति को देखते नजर आए.
महिलाओं ने दिया संदेशगाजे-बाजों और मंगल गीतों के साथ महिलाएं समूह में जलाशय तट पर पहुंचीं. रंग-बिरंगे परिधानों और साफों से सुसज्जित तीजणियां नख से शिख तक श्रृंगारित थीं. गणगौर कबूतर चौक महिलाओं के समूहों ने इस अवसर पर यह संदेश भी दिया कि “गणगौर है परंपरा हमारी, कोई मनोरंजन का साधन नहीं”, और साथ ही “संग बेंतमार की प्रथा अब होगी बंद” जैसे नारों के माध्यम से सामाजिक चेतना भी फैलाई.
आखिर क्यों रखती कठोर व्रत?तीजणियां पवित्र जलाशयों से लोटियों में जल भरकर गवर माता को अर्पण करती हैं. इस दौरान वे 16 दिन तक कठोर व्रत रखती हैं. जब तक पूजा पूरी नहीं होती, तब तक अन्न-जल का त्याग करती हैं और नमक से भी दूर रहती हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि गवर माता को मीठे का भोग लगाया जाता है और पूजा के बाद वहीं प्रसाद ग्रहण किया जाता है.
इन दो नामों से मनाने की परम्पराइस पर्व को जोधपुर में दो अलग-अलग नाम से मनाने की परम्परा चली आ रही है. पहले पखवाड़े में पूजे जाने वाली गणगौर घुड़ला गवर कहलाती है. जबकि दूसरे पखवाड़े में धींगा गवर का पूजन होता है. पहले पखवाड़े में गवर का पूजन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से आरंभ होकर चैत्र शुक्ल तीज तक किया जाता है.
Location :
Jodhpur,Rajasthan
First Published :
April 16, 2025, 14:17 IST
homerajasthan
जोधपुर में धींगा गवर की विदाई रस्म, आखिर इन महिलाओं के क्यों दिया यह संदेश?