Syndicate Bank 210 crore scam Charge sheet presented in Special CBI Court18 people convicted

जयपुर. सिंडिकेट बैंक घोटाला (Rajasthan Syndicate Bank Scam) मामले में सीबीआई (CBI) ने बुधवार को जयपुर की विशेष सीबीआई अदालत में चार्जशीट पेश कर दी है. सीबीआई ने चार्जशीट में सिंडिकेट बैंक घोटाले में 210 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताओं के लिए 18 लोगों को दोषी ठहराया है. सीबीआई जांच में इस घोटाले में मुनीम, व्यवसायी, निजी व्यक्ति, सिंडिकेट बैंक के तत्कालीन एजीएम, सिंडिकेट बैंक के तत्कालीन प्रबंधक को दोषी ठहराया है. सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ है कि बैंक ने अपने निदेशकों/साझेदारों के माध्यम से तीन निजी फर्मों से 210 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी (Rajasthan 210 Crore Bank Fraud Case) की है. सिंडिकेट बैंक क्षेत्रीय कार्यालय, जयपुर से एक शिकायत पर चार्टर्ड एकाउंटेंट, बिल्डर सहित छह निजी व्यक्तियों के खिलाफ, सिंडिकेट बैंक के दो तत्कालीन एजीएम, दो मुख्य प्रबंधक और अन्य अज्ञात सरकारी कर्मचारीनिजी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.
शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि तीन शाखाओं द्वारा 118 ऋण खातों को स्वीकृत और वितरित किया गया था. ये पूरा घोटाला सिंडिकेट बैंक की एमआई रोड शाखा, जयपुर, मालवीय नगर शाखा, और उदयपुर की शाखा से किया गया. इस घोटाले में 118 ऋण खाते, आवास ऋण खाते शामिल पाए गए हैं. सीबीआई जांच में वर्ल्ड ट्रेड पार्क (डब्ल्यूटीपी) की वाणिज्यिक संपत्ति की खरीद के लिए ऋण खाते, ओडी सीमा और विदेशी साख पत्र के मामले में भारी अनियमितताएं पाई गई हैं.
ऐसे समझें क्या है पूरा मामला
इस पूरे घोटाले की साजिश उदयपुर स्थित चार्टर्ड एकाउंटेंट ने अपने कर्मचारियों और अन्य लोगों के साथ एमआई रोड शाखा, जयपुर के शाखा अधिकारियों के साथ मिलकर रची. आरोपी ने बैंक में 210 करोड़ का फर्जीवाड़ा करने के लिए फर्जी दस्तावेज़, बिल, कोटेशन और प्रमाण पत्र का उपयोग भी किया है. जांच में खुलासा हुआ है कि बैंक से कर्ज लेने वाले कई उधारकर्ता स्वामित्व वाली फर्मों में सामान्य कर्मचारी पाए गए, चार्टेड अकाउंटेंट द्वारा अपात्र व्यक्तियों को भी फर्जी तरीके से भारी भरकम ऋणों के लिए पात्र बनाया गया. खरीद के लिए सावधि ऋण प्राप्त करने के लिए सिंडिकेट बैंक एमआई रोड शाखा, जयपुर द्वारा वर्ल्ड ट्रेड पार्क लिमिटेड, जयपुर में स्थित वाणिज्यिकसंपत्तियां/इकाइयां उधारकर्ताओं की बढ़ी हुई आय को दर्शाने वाले जाली आयकर रिटर्न का आधार, जाली कोटेशन, चालान, खरीद आदेश और कार्य आदेश,जाली सीए प्रमाण पत्र और लेखा परीक्षित वित्तीय विवरण में खुलेआम फर्जीवाड़ा किया है.
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इस मामले में तत्कालीन प्रबंधक, सिंडिकेट बैंक, एम आई रोड शाखाने घोटालेबाजों की सिफारिश की और तत्कालीन एजीएम/शाखा प्रमुख, सिंडिकेट बैंक, एम आई रोड शाखा ने मंजूरी दी थी. इस घोटाले को अंजाम देने के लिए घोटालेबाजों ने बैंक प्रबंधन के साथ मिलकर बैंक के वित्तीय दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया है. घोटाले की राशि से वाणिज्यिक संपत्तियों की खरीद, एफएलसी, आवास ऋण, ओडी सीमाएं और विभिन्न व्यक्तियों, फर्मों और कंपनियों को कार्यशील पूंजी सावधि ऋण में निवेश के सबूत सीबीआई को मिले हैं.
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