Sirohi police gave 51 thousand rupees in a marriage program – News18 हिंदी

रिपोर्ट-दर्शन शर्मा
सिरोही. पुलिस यानि सख्ती. कानून का पालन, गुस्सैल, डंडे फटकारते जवान. पुलिस का नाम लेते ही यहीं तस्वीर सबकी आंकों में बनती है. लेकिन सिरोही की पुलिस समाजसेवा भी कर रही है. उसने एक गरीब कन्या की शादी में मायरा की रस्म निभाई.
वैसे तो पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जानी जाती है.लेकिन पुलिस का एक अन्य चेहरा ये भी है कि जब सामाजिक सरोकार की बात आती है, तो पुलिसकर्मी बढ़-चढ़कर आगे आकर सहयोग करते हैं. कुछ ऐसा ही नजारा सिरोही जिले के कैलाशनगर में देखने मिला. यहां पुलिस ने अपने थाने के रसोइए की तरफ से मामा की भूमिका निभाई. थाना प्रभारी और पूरा स्टाफ शादी में पहुंचा. रसोइए की बहन को अपनी बहन मानकर बेटी का मायरा भरा.
पुलिस बनी मामा
सिरोही पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने बताया पुलिस ने सामाजिक सरोकार से जुड़ी पहल की है. कैलाश नगर थाने में एक रसोईया काम करता है. नाम है- राजूराम देवासी. जब से ये थाना बना है तब से राजू यहां के स्टाफ के लिए खाना बनाता आ रहा है. वो अस्थायी कर्मचारी है. उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. कैलाशनगर थानाधिकारी कानाराम सिरवीव और पूरे स्टाफ को पता चला कि राजू के माता पिता का बचपन मे निधन हो गया है और उसकी दो बहनें हैं. उनमें से एक बहन सीता की बेटी की शादी थी. राजू को मायरा भरना था. लेकिन राजू की आर्थिक हालत ठीक नहीं.
राजू का जीवन संघर्ष
राजूराम की दुखों की कहानी लंबी है. उसकी जब दो माह की बेटी थी तब उसकी पत्नी का भी देहान्त हो गया था. राजूराम की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय होने की जानकारी थानाधिकारी और स्टाफ को मिली. इसलिए थानाधिकारी कानाराम सिरवीव सहित पूरा स्टाफ राजू की तरफ से उसकी बहन सीता देवासी की बेटी कमला के शादी समारोह में मामा बनकर पहुंच गया. पुलिसकर्मियों ने सीता देवासी को अपनी बहन मानकर 51 हजार रुपए का मामेरा भरा.
क्या है मायरा
मायरा भरना राजस्थान में विवाह के समय की एक रस्म है. इसमें मामा अपने भांजे-भांजी की शादी में कपड़े, पैसे समेत अन्य सामान लेकर जाते हैं. साथ ही बहन के ससुराल वालों के लिए भी अपनी अपनी स्थिति अनुसार उपहार ले जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 19, 2024, 15:00 IST