Rajasthan

Bharatpur Tourism News : हलैना में स्थित रानी महल बन गया खंडहर, कभी देखने के लिए लगती थी पर्यटकों की भीड़

रिपोर्ट : ललितेश कुशवाहा

भरतपुर. केवलादेव नेशनल पार्क (Keoladeo National Park) विश्व प्रसिद्ध है. प्रतिवर्ष इसे देखने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक भरतपुर (Bharatpur) पहुंचते हैं. यहां पहुंचे पर्यटक जिले में स्थित कई प्राचीन धरोहरों को अवश्य देखते हैं. लेकिन अब कुछ वर्षों से पर्यटक (Tourist) इन्हें देखे बिना सीधे जयपुर या आगरा (Jaipur or Agra) निकल जाते हैं.

इसका मुख्य कारण है जिले की अधिकांश एतिहासिक धरोहर पुरात्त्व विभाग और जिला प्रशासन (Archaeological Department and District Administration) की अनदेखी का शिकार हैं. जो देख-रेख के अभाव में खंडहरों में तब्दील होती जा रही है. जिले के हलैना कस्बे में स्थित रानी महल (Rani Mahal) भी इससे अछूता नहीं है. इस महल का निर्माण ठाकुर अतिराम ने करवाया था.

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करीब 300 वर्ष पहले जयपुर शासक और मराठों ने गोले दागकर इसे क्षतिग्रस्त कर दिया था. इसके बाद ठाकुर अतिराम के वंशजों ने इसकी मरम्मत के लिए कई बार जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग से गुहार लगाई. लेकिन इसके बाबजूद भी प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली. यह महल संरक्षण के अभाव में खंडहर बन चुका है.

रानी महल का इतिहास

वंशज बंटू फौजदार (Bantu Faujdar) ने बताया कि भरतपुर रियासत के संस्थापक महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) के चाचा ठाकुर अतिराम सिंह ने वर्ष 1702 में कस्बा हलैना की स्थापना करते हुए दो शाही महलों का निर्माण करवाया. इनमें से एक महल को अतिराम महल और दूसरे को रानी महल के नाम से जाना जाता है.

वहीं ठाकुर अतिराम ने महल से कुछ ही दूरी पर रामसागर तालाब और इसके पास जलमहल का भी निर्माण करवाया. रानी महल से रामसागर तक अंडरग्राउंड सुरंग नुमा रास्ता भी बनवाया गया. इसके रास्ते से रानिया रामसागर में बने जलमहलो में स्नान करने जाती थी. इस महल का मुख्य आकर्षण का केंद्र सुरंग नुमा रास्ता ही था.

महल को जयपुर शासक और मराठों ने किया था क्षतिग्रस्त

बंटू ने बताया की करीब 300 वर्ष पहले जयपुर के महाराजा और मराठा (Maharaja and Maratha) शासकों ने हलैना पर आक्रमण कर दिया. जिसका हलैना- पथैना ने जमकर मुकाबला किया जयपुर के शासक और मराठों की सेना को नंगे पैर यहां से भागना पड़ा. लेकिन मराठों की सेना ने रानियों के महल को गोले दागकर क्षतिग्रस्त (damaged) कर दिया.

यह रानियों का महल उसी समय से क्षतिग्रस्त है, जिसकी मरम्मत कराने को लेकर कई बार पुरात्तव विभाग व जिला प्रशासन से गुहार लगाई गई. लेकिन उसके बाद भी प्रशासन ने महल के संरक्षण को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया.

वहीं ठाकुर वंश के दो राजकुमार हलैना को छोड़कर पथैना और झालरापाटन चले गए और रानियों के महल को खाली कर उसके आसपास अपने शाही मकान बना लिए हैं. वहीं पुरात्तव विभाग एवं जिला प्रशासन इस महल के जीर्णोद्धार पर ध्यान दे तो इसे एक बड़ा पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.

Tags: Bharatpur News, Rajasthan news

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