Kumbhalgarh Should Be Developed As A Tiger Reserve: MP Diyakumari – कुंभलगढ़ को बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित किया जाए: सांसद दीयाकुमारी

नियम 377 के तहत संसद में पहले दिन उठाया कुंभलगड़ अभयारण्य का मुद्दा
प्रश्नकाल में मांगे कौशल विकास के सम्बंध में जवाब

जयपुर, 19 जुलाई। लोकसभा में मानसून सत्र के पहले ही दिन सांसद दीयाकुमारी ने राजस्थान में 5वें संभावित बाघ अभयारण्य के रूप में कुंभलगढ़ को विकसित करने की मांग उठाते हुए कहा कि कुंभलगढ़ अभयारण्य 1280 वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैला है, जो कि सरिस्का से बड़ा है और यहां 1970 के दशक से बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई है। नियम 377 के तहत लोकसभा में बोलते हुए सांसद दीयाकुमारी ने कहा कि वर्तमान में शिकार का आधार प्रारंभिक चरण में 4 बाघों के लिए पर्याप्त है और आने वाले वर्षों में कम से कम 45 बाघों को रखने की क्षमता रखता है। रणथंभौर में बाघों की बढ़ती आबादी नए इलाके की तलाश में संरक्षित क्षेत्रों से भटक रही है और इसके परिणामस्वरूप मानव और बाघों के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है।
उनका कहना था कि मौजूदा टाइगर रिजर्व को संरक्षित करते हुए नए टाइगर रिजर्व विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है और देश में बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कुंभलगढ़ में बाघों को लाने की प्रक्रिया को भी गति देना चाहिए।
प्रश्न काल में कौशल विकास के सम्बंध में पूछा प्रश्न.
आसन के माध्यम से सांसद दीयाकुमारी ने कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री से प्रश्न करते हुए पूछा कि देश में जिले वार प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्रों की संख्या का विवरण क्या है तथा पिछले तीन वर्षों में राजस्थान सहित पूरे देश में प्रशिक्षित छात्रों और प्रशिक्षण के बाद कार्यरत छात्रों की कुल संख्या क्या है ?