Rajasthan

regional party accuse election commission rule as unable to contest panchayat and civic election

जयपुर. लोकसभा (Lok Sabha Election) और विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Election) में ताल ठोकने वाले कई क्षेत्रीय दल पंचायतीराज चुनाव में नजर नहीं आ रहे हैं. इनमें से कई क्षेत्रीय दलों की पंचायतीराज चुनाव (Rajasthan Panchayat Election) लड़ने की मंशा थी. लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा लगाई गई शर्तों की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है. इन दलों के प्रत्याशियों को चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की तरह ही ट्रीट किया जा रहा है. दरअसल, यहां राज्य निर्वाचन आयोग ने कुछ ऐसी शर्तें लगाई है कि ये पार्टियां इन्हें पूरा नहीं कर पा रही है और पंचायतीराज चुनाव के साथ ही नगर निकाय चुनाव में भी अपने प्रत्याशी नहीं उतार पा रही है. आम आदमी पार्टी ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे थे और पंचायतीराज चुनाव लड़ने का भी फैसला किया था. लेकिन पार्टी के प्रदेश सचिव देवेन्द्र शास्त्री का कहना है कि स्टेट इलेक्शन कमीशन ने क्राइटेरिया में नहीं आने की बात कहकर उन्हें पार्टी का सिम्बल आवंटित करने से मना कर दिया.

देवेन्द्र शास्त्री का आरोप है कि प्रदेश में 70 साल से उल्टा नियम चल रहा है जिसके चलते ना तो यहां कोई नई पार्टी रजिस्टर्ड हो सकती और ना चुनाव लड़ सकती है और यह सब षड्यंत्र के तहत हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार क्षेत्रीय दलों को पनपने नहीं देना चाहती जिसके चलते गलत रुप से शर्तें लगाई गई हैं.
केवल राजस्थान में हो रहा ऐसा !

आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेन्द्र शास्त्री के मुताबिक राजस्थान अकेला ऐसा राज्य है जहां नियमों को दरकिनार किया जा रहा है. सिम्बल आवंटित करने के केन्द्रीय नियमों में तीन तरह के आधार दिए गए हैं. इन नियमों के अनुसार या तो राजनीतिक दल को नेशनल पार्टी होना चाहिए या फिर उसके तीन विधायक और एक सांसद होना चाहिए. इसके अलावा पार्टी ने राज्य में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 6 प्रतिशत से ज्यादा वोट लिए हैं तो भी उसे सिम्बल दिया जा सकता है. देवेन्द्र शास्त्री के मुताबिक अगर पार्टी किसी दूसरे राज्य में 6 प्रतिशत से ज्यादा वोट ले चुकी है या दूसरे राज्य में उसके 3-4 विधायक जीते हैं तो भी सिम्बल दिए जाने का नियम है, लेकिन राजस्थान का स्टेट इलेक्शन कमीशन इसे नहीं मानता. जबकि देश के किसी भी दूसरे राज्य में ऐसा नहीं है. स्टेट इलेक्शन कमीशन द्वारा यह नियम नहीं मानने का नुकसान कई क्षेत्रीय दलों को उठाना पड़ रहा है. राजस्थान में अभी केवल राष्ट्रीय दलों और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को पंचायतीराज और नगर निकाय चुनाव में कंसीडर कर उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह आवंटित किए जा रहे हैं, जबकि शेष सभी दलों को निर्दलीय माना जा रहा है.

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दलों को नहीं किया जा रहा रजिस्टर

आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेन्द्र शास्त्री के मुताबिक दूसरे राज्यों के इलेक्शन कमीशन क्षेत्रीय दलों को अपने यहां रजिस्टर कर उन्हें सिम्बल अलॉट करते हैं जबकि राजस्थान में पार्टियों को रजिस्टर नहीं किया जा रहा है. आम आदमी पार्टी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती भी दी जिसमें कोर्ट ने स्वीकार किया कि सिम्बल अलॉटमेंट रुल में क्षेत्रीय दलों को सिम्बल अलॉट करने का प्रावधान है. कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को इस सम्बन्ध में फैसला कर अवगत करवाने का आदेश दिया. देवेन्द्र शास्त्री का कहना है कि इलेक्शन कमीशन ने इस सम्बन्ध में हमें गोलमोल जवाब दिया जिस पर अवमानना याचिका लगाई हुई है और उम्मीद है कि क्षेत्रीय दलों को जल्दी ही न्याय मिलेगा.

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