राजस्थान की ‘हत्यारी’ सड़क, डेढ़ दशक में लील चुकी है 100 से ज्यादा लोगों की जान
अल्केश सनाढ्य, राजसमंद. राजस्थान के राजसमंद जिले की सीमा पर पड़ने वाली देसूरी की नाल सड़क अब तक कई लोगों की जान ले चुकी है. इस सड़क के अंधे और तीखे मोड़ यात्रियों की मौत का कारण बन रहे हैं. साल 2007 में यहां प्रदेश का सबसे घातक सड़क हादसा हुआ था. इस हादसे में करीब 90 लोगों की मौत हो गई थी. डेढ़ दशक में भी देसूरी की नाल के दुर्घटना सम्भावित जगहों पर सुरक्षा उपायों को लागू करने में राज्य सरकार नाकाम रही. इतना ही नहीं हाईकोर्ट की ओर से अस्थायी तौर पर सुरक्षा उपाय लागू करने के आदेश दिए जाने पर भी जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
देसूरी की नाल मैं 14 घातक मोड़
बता दें कि राजसमंद जिले की सीमा और पाली जिले की सीमा में ये मोड़ आती हैं. इन अंधे मोड़ों की संख्या 14 है. इनमें से 11 राजसमंद जिले की सीमा में और तीन पाली जिले की सीमा में आते हैं. अंधे और तीखे मोड़ होने के कारण वाहन चालकों को कुछ दिखाई नहीं देता. इन सड़कों की चौड़ाई भी 28 की जगह 16 फीट है.
इसलिए होते हैं हादसे
साल 2019 में कलेक्टर के नेतृत्व में गठित कमेटी ने सड़क की कम चौड़ाई को हादसे को प्रमुख कारण माना था. इसकी डीपीआर भी तैयार हो चुकी है. इसके बाद भी यह सड़क ज्यादा नहीं चल पाई, लेकिन 3 साल में यह तीन कदम भी नहीं चल पाई. कहने को तो देसूरी की नाल स्थित सड़क स्टेट हाईवे है, लेकिन इसकी चौड़ाई को देखकर ऐसा लगता है कि अभी गांव की सड़क गुजर रही हो. 10 किलोमीटर कि इस सड़क पर पिछले साल 14 लोग अकाल मौत का शिकार हो गए थे. अब परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग के आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने आदेश जारी कर इस रोड के सर्वे करने का निर्देश दिया. इसकी पालना में जयपुर पहुंचे अधिकारियों के साथ राजसमंद और पाली के अधिकारियों की एक टीम 3 दिन तक क्षेत्र का दौरा कर सर्वे कर रही है।
हादसे रोकने के उपायों की तलाश
आईआरएडी प्रतिनिधि सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ के द्वारकेश मंडावाला ने बताया कि सड़क परिवहन विभाग ने देशभर में हादसे जनित सड़कों के लिए एक विशेष प्रोजेक्ट तैयार करता है. इसी के तहत परिवहन, चिकित्सा, पुलिस समेत अन्य विभागों के अधिकारी शामिल है. जो हादसे की रोकथाम के कारणों पर मंथन कर रहे हो और अपनी एक रिपोर्ट सौंपेंगे.
जिसमें बहुत जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा. बता दें कि साल 2007 में प्रदेश के सबसे बड़े सड़क हादसे में करीब 90 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद भी देसूरी की नाल के दुर्घटना सम्भावित जगहों पर सुरक्षा उपायों को लागू करने में राज्य सरकार नाकाम रही. यहां तक कि हाईकोर्ट की ओर से अस्थायी तौर पर सुरक्षा उपाय लागू करने के आदेश दिए जाने पर भी जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.
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