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सीतामढ़ी. बिहार के सीतामढ़ी जिले में कुछ किसान खेती में नये नये प्रयोग के लिए पहचाने जाते हैं. यहां किसान काला नमक धान की खेती कर रहे हैं. ये धान औषधीय और पौष्टिक गुणों से भरपूर है. इसका सेवन अल्जाइमर, कैंसर, डायबिटीज और दिल की बीमारी से बचा सकता है.

सीतामढ़ी के सोनबरसा प्रखंड के भुतही गांव का किसान राजेश पंजियार अब काला नमक धान की खेती के कारण चर्चा में है. इससे पहले वो काला गेहूं की खेती कर चुके हैं. काला नमक चावल एक रासायनिक अनाज है जो कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है. राजेश का कहना है इस धान में विटामिन, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट और अन्य पौषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं.

तेज खुशबू इसकी खासियतराजेश पंजियार ने बताया वह पिछले साल से काले नमक चावल की खेती कर रहे हैं. इनसे प्रेरित होकर इस बार करीब 50 किसानों ने इसकी खेती शुरू की है. फिलहाल, राजेश एक एकड़ में खेती कर रहे हैं. इसमें लगभग 20 किलो काले धान के बीज की आवश्यकता होती है. फसल तैयार होने में लगभग 90 से 110 दिन का समय लगता है. इस चावल का आकार सामान्य सफेद चावल जैसा होता है. तेज सुगंध इसकी विशेषता है. उन्होंने किसानों को जैविक तरीकों से खेती करने की सलाह दी।

400 से 800 किलो दामराजेश को एक रिटायर्ड वैज्ञानिक बीएन सिंह से इस धान की जानकारी मिली. अब वो इसकी चार वेरायटी की खेती कर रहे हैं. इसमें संभासन, काला नमक, काला नमक इयरली और काला नमक बौना किस्म शामिल है. सामान्य धान भारत में 30 रूपए किलो बिकता है. इस धान की कीमत 150 से 200 रुपए तक है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में काले चावल की बहुत अधिक मांग है. किसानों को अच्छी कीमत मिल जाती है. इन सभी किस्म के चावल का बाजार मूल्य 400 से 800 रुपये प्रति किलोग्राम तक है.

अल्जाइमर-कैंसर से बचाएकाले नमक चावल में प्रोटीन, आयरन और जिंक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर की कमजोरी दूर करने में सहायक है. चावल में एंथोसायनिन जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व हैं, जो हृदय के लिए लाभकारी हैं. काले चावल का सेवन रक्त विकार को कम करता है. नियमित रूप से काला नामक चावल खाने से अल्जाइमर रोग को रोकने में सफलता मिल सकती है. ये डायबिटीज कंट्रोल, दिल और कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मददगार होता है.

Tags: Health benefit, Healthy food, Local18

FIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 19:21 IST

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