बीजिंग से लॉन्च होते ही हाइपरसोनिक मिसाइल को पकड़ लेगा ये रडार, भारत अपने दोस्त से खरीद रहा ‘ग्रेट वॉल’

नई दिल्ली. भारत ने रूस के साथ वोरोनिश रडार सिस्टम को खरीदने के लिए रूस के साथ बातचीत को अंतिम रूप दे दिया है. भारत के वायु रक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 4 अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर रूस के साथ सहमति हो गई है. वोरोनिश रडार प्रणाली से बड़े इलाके में हवाई खतरों का पता लगाने और उनका जवाब देने की भारत की क्षमता बहुत बढ़ने होने की उम्मीद है. यह बातचीत नई दिल्ली और मॉस्को के बीच स्थायी रक्षा सहयोग को दिखाती है. इस साझेदारी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस हफ्ते रूस की अपनी यात्रा के दौरान मजबूत किया.
खतरे का पता लगाने में मदद करेगा वोरोनिश रडारवोरोनिश रडार प्रणाली को रूस के अल्माज-एंटे कॉरपोरेशन ने बनाया है. जो मिसाइल सिस्टम और रडार तकनीक में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है. ये रडार धरती से 8,000 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई और 6,000 किलोमीटर से अधिक दूरी के रडार बैलिस्टिक मिसाइलों, स्टील्थ एयरक्राफ्ट, फाइटर जेट और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) सहित कई खतरों का पता लगा सकता है और उन्हें ट्रैक कर सकता है.
एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानीरूस के मुताबिक यह सिस्टम एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी कर सकता है और अंतरिक्ष में पृथ्वी के निकट की वस्तुओं को भी ट्रैक कर सकता है. इस एडवांस रडार से चीन, दक्षिण एशिया और हिंद महासागर सहित महत्वपूर्ण इलाकों पर अपनी निगरानी को बढ़ाकर भारत को रणनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है. यह क्षमता क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की उभरती सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेगी.
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‘मेक इन इंडिया’ के तहत निर्माण को बढ़ावाभारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप इस सौदे में कम से कम 60 फीसदी रडार सिस्टम को घरेलू स्तर पर बनाने का प्रावधान शामिल है. अल्माज-एंटे की एक टीम ने हाल ही में संभावित ऑफसेट भागीदारों से मिलने के लिए भारत का दौरा किया. एक बार सिस्टम हासिल हो जाने के बाद इसे कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में तैनात किया जाएगा. जो पहले से ही कई एडवांस रक्षा और एयरोस्पेस सुविधाओं का घर है. कथित तौर पर उसने जगह का सर्वे किया है, ताकि रडार लगाया जा सके.
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 23:31 IST