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Agriculture News: मूंगफली की खेती से बढ़ाएं आमदनी, जानें बुवाई से लेकर कटाई तक की पूरी प्रक्रिया

Last Updated:October 23, 2025, 10:58 IST

Groundnut Farming Tips: मूंगफली एक प्रमुख तिलहन फसल है जो न केवल तेल उत्पादन के लिए बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाती है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वश्रेष्ठ होती है. बीज बुवाई, खाद प्रबंधन और सिंचाई के सही चरणों का पालन करने से 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है.मूँगफली जिसे मूंगफली या पीनट भी कहते हैं एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है। इसकी खेती मुख्य रूप से इसके दानों यानी बीज से तेल निकालने और सीधे खाने के लिए की जाती है। यह दलहन फसलों की तरह ही मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाती है, जिससे भूमि की उर्वरता बढ़ती है। मूँगफली की खेती का चक्र निम्नलिखित चरणों में पूरा होता है

मूंगफली को पी नट भी कहते हैं और यह एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है.  इसकी खेती मुख्य रूप से इसके दानों यानी बीज से तेल निकालने और सीधे खाने के लिए की जाती है. यह दलहनी फसलों की तरह ही मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाती है, जिससे भूमि की उर्वरता बढ़ती है. मूंगफली की खेती का चक्र कई चरणों में पूरा होता है.

खेत की तैयारी सबसे पहले खेत की एक गहरी जुताई 25-30 सेमी तक करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और पुरानी फसल के अवशेष नीचे दब जाएं। इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई करके या हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और समतल बना लें। खेत से पानी निकासी की उचित व्यवस्था करें क्योंकि मूँगफली में जलभराव बर्दाश्त नहीं होता।

मूंगफली की खेती के लिए सबसे पहले खेत की एक गहरी जुताई 25-30 सेमी तक करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और पुरानी फसल के अवशेष नीचे दब जाए. इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई कर या हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और समतल बना लें. खेत से पानी निकासी की उचित व्यवस्था करें, क्योंकि मूंगफली को जलभराव बर्दाश्त नहीं होता.

बीज और बुवाई चुनें जो आपके क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल हों। कुछ प्रमुख किस्में है कादरी, जेएल-24, जीजी-20, एचएनजी-10, टीजी-37 आदि। लगभग 35-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज पर्याप्त होता है।बीजों को लाइनों में बोना सबसे अच्छा होता है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30-45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी रखते हैं। बीज की गहराई 5-6 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए

बीज और बुवाई में सवाधानी बरतने की जरूरत पड़ती है. वैसे बीज ही चुनें जो आपके क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल हों. कुछ प्रमुख किस्में कादरी, जेएल-24, जीजी-20, एचएनजी-10, टीजी-37 आदि। लगभग 35-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज पर्याप्त होता है. बीजों को लाइनों में बोना सबसे अच्छा होता है  पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30-45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी रखते हैं. बीज की गहराई 5-6 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए.

खाद और उर्वरक मूँगफली की अच्छी पैदावार के लिए जैविक खाद बहुत फायदेमंद होती है। रासायनिक खाद के रूप में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश देना जरूरी है। सामान्य तौर पर, 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40-50 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20-30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की जाती है। खेत की मिट्टी की जांच के बाद ही खाद की सही मात्रा तय करें।

मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए जैविक खाद बहुत फायदेमंद होती है. रासायनिक खाद के रूप में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश देना जरूरी है. सामान्य तौर पर, 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40-50 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20-30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की जाती है. खेत की मिट्टी की जांच के बाद ही खाद की सही मात्रा तय करें.

सिंचाई मूँगफली को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण चरणों पर सिंचाई जरूरी है बुवाई के तुरंत बाद फिर फूल आने की अवस्था लगभग 25-30 दिन बाद फिर फलियाँ बनने की अवस्था लगभग 50-60 दिन बाद। इस समय पानी की कमी से उपज पर सीधा असर पड़ता है।

मूंगफली को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण चरणों पर सिंचाई जरूरी है. बुवाई के तुरंत बाद फसल की सिंचाई करें. इसके बाद फूल आने की अवस्था के दौरान लगभग 25-30 दिन बाद सिंचाई करें. इसके 50-60 दिन यानी फलियां बनने की अवस्था के दौरान सिंचाई जरूरी है.  इस समय पानी की कमी से उपज पर सीधा असर पड़ता है.

कटाई और उपज जब पौधे की पत्तियाँ पीली पड़ने लगें और सूखने लगें, तो समझ जाना चाहिए कि फसल पक गई है। पौधों को खोदकर निकाला जाता है और कुछ दिनों तक खेत में ही सुखाया जाता है। सूख जाने के बाद, डंडों से पीटकर या मशीन से दानों को अलग किया जाता है। औसत उपज 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है

जब पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगे और सूखने लगें, तो समझ जाना चाहिए कि फसल पक गई है. पौधों को खोदकर निकाला जाता है और कुछ दिनों तक खेत में ही सुखाया जाता है. सूख जाने के बाद, डंडों से पीटकर या मशीन से दानों को अलग किया जाता है. औसत उपज 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

मिट्टी का प्रकार बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है। यह मिट्टी हल्की, भुरभुरी और जल निकासी वाली होती है। इससे फलियों का विकास आसानी से हो पाता है और वे मिट्टी में आसानी से घुस पाती हैं। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.0 के बीच का pH मान उपयुक्त रहता है। यानी मिट्टी हल्की अम्लीय से लेकर तटस्थ होनी चाहिए। मिट्टी में पानी का निकास बहुत अच्छा होना चाहिए। मूँगफली जलभराव को बिल्कुल भी सहन नहीं कर पाती। खेत में पानी भरा रहने से पौधे सड़ने लगते हैं और बीमारियाँ लग जाती हैं।

मूंगफली की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है. यह मिट्टी हल्की, भुरभुरी और जल निकासी वाली होती है. इससे फलियों का विकास आसानी से हो पाता है और वे मिट्टी में आसानी से घुस पाती हैं. मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.0 के बीच का pH मान उपयुक्त रहता है. यानी मिट्टी हल्की अम्लीय से लेकर तटस्थ होनी चाहिए. मिट्टी में पानी का निकास बहुत अच्छा होना चाहिए. मूंगफली जलभराव को बिल्कुल भी सहन नहीं कर पाती. खेत में पानी भरा रहने से पौधे सड़ने लगते हैं और बीमारियां लग जाती है.

First Published :

October 23, 2025, 10:58 IST

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खेत में ऐसे करें मूंगफली की देखभाल, पानी-खाद की सही मात्रा से होगी बंपर फसल

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