Rajasthan

Number Of Injured Birds In Jaipur Crosses 400, Manjha Is Becoming Crisis For Voiceless | जयपुर में घायल पक्षियों का आंकड़ा 400 पार, मांझा बन रहा है बेजुबानों के लिए काल

जयपुर। पतंग को उड़ाने के लिए प्रयोग में लिए जाने वाला मांझा बेजुबान पक्षियों के लिए काल बनता जा रहा हैं। जनवरी की शुरुआत से ही पक्षियों के मांझे से कटने का आंकडा लगातार बढ़ता जा रहा हैं।

जयपुर। पतंग को उड़ाने के लिए प्रयोग में लिए जाने वाला मांझा बेजुबान पक्षियों के लिए काल बनता जा रहा हैं। जनवरी की शुरुआत से ही पक्षियों के मांझे से कटने का आंकडा लगातार बढ़ता जा रहा हैं। शहर में जनवरी की शुरुआत से प्रतिदिन 30 से 40 पक्षीं मांझे का शिकार हो रहे हैं। घायल पक्षियों में कबूतर की संख्या सबसे ज्यादा हैं। शहर के अलग-अलग जगहों से घायल पक्षियों को पक्षी चिकित्सालय लाया जा रहा हैं, दूसरी तरफ ऐसे भी पक्षी है जिनका सही समय पर उपचार नही होने की वजह से अपना दम तोड़ चुके हैं।

पिछले साल की तुलना में इस साल आ रहे है ज्यादा केस-
पक्षी चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ रमेश चंद्र वर्मा बताते है कि पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा घायल पक्षियों के केस आ रहे हैं। जहां पिछले साल मकर संक्राति के समय एक दिन में 10 से 20 पक्षी घायल आ रहे थे। इस वर्ष मकर सक्रांति पर घायल पक्षियों का आकंड़ा दोगुना हो चुका हैं, यानि घायल पक्षियों का प्रतिदिन का आंकडा़ 40 तक हो गया हैं।

घायल पक्षियों में कबूतर की संख्या सबसे सर्वाधिक-
मांझे से घायल पक्षियों में कबूतर की संख्या सबसे अधिक है। प्रत्येक घायल पक्षियों में तीसरा पक्षी कबूतर हैं। इसकी एक बड़ी वजह राजधानी में कबूतरों की तादात हैं। शहर में लाखों की तादात में कबूतर पाए जाते हैं। राजधानी मे अलग-अलग जगह कबूतरों को दाना डाला जाता हैं, इस वजह से कबूतरों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। घायल कबूतरों में सफेद पक्षी भी शामिल है जिनकी शहर में संख्या अत्यंत कम हैं।

लोग कर रहे हैं घायल पक्षियों की मदद-
शहर में कई लोग घायल पक्षियों को पक्षी चिकित्सालय लेकर आ रहे है और उनकी जान बचा रहे हैं। कुछ बच्चें भी इस मुहिम में शामिल हैं। सांगानेरी गैट के पास बने पक्षी चिकित्सालय में लोग रोज घायल पक्षियों को लेकर आ रहे हैं। कुछ लोग कैंप लगाकर पक्षियों की मदद कर रहे हैं। इसी मुहिम में शामिल शिवप्रकाश चौधरी जो पेशे से एक टीचर है लेकिन वह मकर सक्रांति के सीज़न में अलग-अलग जगह कैंप लगाकर पक्षियों का फ्री में उपचार कर रहें हैं और घायल पक्षियों को एक नया जीवन दान दे रहे हैं।

घायल पक्षी मिलें तो इन बातों का रखे ध्यान-
पक्षी चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ रमेश चंद्र वर्मा बताते है कि जब भी लोगों को पक्षी मिलता है तो लोग उनके उपचार के समय अनावश्क काम कर बैठते है जिस वजह से पक्षी की सेहत और बिगड़ सकती है। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को पक्षी उपचार के समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिएः

1-पक्षी के नहीं लगाए टांके-
यह नही करें-

पक्षी के उपचार के समय कुछ व्यक्ति पक्षी के शरीर पर टांके लगा देते है जिसकी वजह से पक्षी सही तरह से उड़ान नही भर पाता हैं। टाकों के कारण कई बार पक्षी की मौत भी हो जाती है।

यह करें-
पक्षी के शरीर पर हल्दी का लेप लगाए जिससे पक्षी अपने पंखों को खोल सके और आसमान में उड़ान भर सकें।

घायल पक्षी को नहीं पिलाए पानी-
यह नहीं करें-
जब कोई व्यक्ति घायल पक्षी को देखता है तो वह उसे सर्वप्रथम पानी पिलाने के लिए सोचता है। लेकिन घायल अवस्था मे पक्षी की हार्ट बीट बहुत तेज़ होती है इस वजह से पानी पिलाने पर उसकी हार्ट बीट धीमी पड़ सकती है औऱ उसकी मौत भी हो सकती है।

यह करें-
घायल पक्षी के उपचार के बारे में सोचे और नजदीकी पक्षी चिकित्सालय लेकर जाए या फिर उसे कुछ दाना दे जिससे उसके शरीर में उर्जा लौट सकें।

प्राथमिक उपचार करने के बाद पक्षी को लेकर जाएं चिकित्सालय-
यह नहीं करें-
कुछ व्यक्ति पक्षी के शरीर पर पट्टी बांधकर छोड़ देते है। लेकिन ऐसा नहीं करे क्यूं कि उस अवस्था में पक्षी उड़ने की हालत में नहीं होता हैं। इस वजह से कोई भी जानवर उसका शिकार कर सकता हैं।

यह करें-
प्राथमिक उपचार के बाद पक्षी कों नजदीकी पक्षी चिकित्सालय लेकर जाए और उसका सही तरह से उपचार कराए।

शहर में किसी भी जगह घायल पक्षी मिलने पर इस संस्था से कॉन्टेक्ट करके कराए फ्री इलाज-
सुरेश चंद कोठारी (संयोजक) मो-9314501627
संजीव सांखला ( सह संयोजक)-9928398888
डॉ रमेश चंद्र पारीक (पक्षी चिकित्सक)- 9784303719
मोहन लाल जी पारीक( सहायक कर्मचारी)- 8302258044
पता-सांगानेरी गैट , जौहरी बाजार,सुबोध गर्ल्स स्कूल वाली गली।

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