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जिन आंखों में पलते थे अधिकारी, टीचर बनने के सपने, उठा लिया ऐसा कदम, हर कोई रह गया सन्‍न

Last Updated:February 17, 2025, 15:33 IST

पढ़ाई-लिखाई की उम्र में किसी का सपना अधिकारी बनने का होता है, तो किसी का टीचर बनने का, लेकिन राजस्‍थान के युवक-युवतियों ने ऐसा फैसला लिया, जिसे सुनकर हर कोई सन्‍न रह गया. राजस्थान के कई युवक-युवतियों ने अपने सप…और पढ़ेंकोई बनना चाहता था अधिकारी, तो कोई टीचर, ऐसा बदला मन कि सबको चौंका दिया

Rajasthan latest News: राजस्‍थान के कई युवाओं ने दीक्षा ली है.

हाइलाइट्स

राजस्थान के कई युवक-युवतियों ने संन्यास लिया.भावना संखलेचा ने RAS बनने का सपना छोड़ा.आरती बोथरा टीचर बनना चाहती थीं.

Rajasthani Youth: इनमें भी कोई राजस्‍थान प्रशासनिक सेवा (RAS) में जाने का ख्वाब देख रहे थे, तो कोई टीचर बनकर बच्‍चों को पढ़ाना चाहता था, लेकिन उनका मन सांसारिक मोह-माया से ऐसे खिन्‍न हुआ कि उन्‍होंने दूसरी डगर पकड़ ली. कई युवतियां और युवक हाल ही में हुए जैन धर्म दीक्षा कार्यक्रम में जैन साधु और साध्‍वी बन गए. आइए आपको बताते हैं इन युवाओं की पूरी कहानियां…

RAS बनना चाहती थी भावना, लेकिन…राजस्‍थान की भावना संखलेचा की इच्‍छा सिविल सर्विसेज में जाने की थी. उनका सपना राजस्थान में प्रशासनिक अधिकारी बनने का था. वह आरएएस अधिकारी (RAS Officer) बनना चाहती थीं. वह नागौर में जैन धर्म में एमए कर रही थीं, इसी दौरान उनका झुकाव संन्‍यास की तरफ हुआ. भावना ने एक मीडिया से बातचीत में बताया कि वह RAS बनना चाहती थीं, लेकिन वर्ष 2007 में जब वह एक जैन साधु से मिलने गईं तो वहां का माहौल उन्‍हें अच्‍छा लगा, जिसके बाद उन्‍होंने सोचा कि घर में लड़ाई-झगड़े और विवाद होते हैं और संन्यासी जीवन में काफी शांति मिलती है. इसी दौरान उन्‍होंने निश्चय कर लिया था कि उन्‍हें संन्यास लेना है. इसके बाद वह वर्ष 2008 में जैन साध्वी विद्युत प्रभा के संपर्क में आईं और संन्‍यास लेने की ठानी. जब उन्‍होंने अपने घर वालों को यह बात बताई तो वह चौंक गए और अनुमति देने से इंकार कर दिया. जब उन्‍होंने घरवालों को बताया कि वह दीक्षा का मुहूर्त निकलवा लें, नहीं तो वह खुद मुहूर्त निकलवा लेंगी, तब जाकर घरवालों ने मान लिया.

टीचर बनना चाहती थीं आरती बोथराराजस्‍थान की आरती बोथरा टीचर बनना चाहती थीं, लेकिन संतों से मिलने के बाद मन में संन्‍यासी बनने का ख्‍याल आया. आरती बोथरा ने साल 2018 में ही संन्यास लेने का मन बना लिया. इसके लिए उन्‍होंने दो साल तक जैन साधुओं के साथ पैदल विहार किया. आरती ने बताया कि उन्‍हें संन्‍यास के मार्ग पर भेजने के लिए परिवार तैयार नहीं था. जब उन्‍होंने इसके लिए परिवार से बातचीत की तो वह नाराज हो गए। कई दिनों तक घर में इसको लेकर विवाद रहा, जिसके बाद उन्‍होंने उपवास शुरू कर दिया. बाद में घरवाले दीक्षा के लिए तैयार हो गए. इस तरह एक टीचर बनने वाली लड़की संन्‍यास की डगर पर निकल पड़ी.

बीएससी के बाद छूट गई पढ़ाईराजस्‍थान के बाड़मेर जिले के चौहटन की रहने वाली साक्षी सिंघवी घर की इकलौती बेटी हैं. उनके दो भाई हैं. वह सबसे छोटी हैं. साक्षी ने बीएससी तक की पढ़ाई की. उनके पिता उनको आगे पढ़ाना चाहते थे, लेकिन 2015 में उनके पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई. कोरोना काल में उनकी पढ़ाई छूट गई, जिसके बाद वह बेंगलुरु चली गईं. इसी दौरान वह जैन साध्वी दीप्ति प्रभा के चातुर्मास में शामिल हुईं और दस दिन तक उनके साथ रही. इसी दरम्‍यान उन्‍होंने तय किया कि वह संन्‍यास लेंगी. उन्‍होंने 8 महीने पहले ही घरवालों को बता दिया था कि वह संन्‍यास लेंगी. मां और भाई पहले राजी नहीं थे, बाद में समझाने-बुझाने के बाद वह तैयार हो गए.

बीकॉम के बाद ले लिया संन्‍यासबाड़मेर जिले के बाछडाऊ गांव के अक्षय मालू ने महज 27 साल की उम्र में ऐसा कदम उठाया कि हर कोई चौंक गया. अक्षय मालू ने बीकॉम की पढ़ाई की, उसके बाद उन्‍होंने संन्‍यास की डगर पकड़ ली. उन्‍होंने सांसारिक जीवन का त्‍याग कर दिया.


First Published :

February 17, 2025, 15:24 IST

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कोई बनना चाहता था अधिकारी, तो कोई टीचर, ऐसा बदला मन कि सबको चौंका दिया

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