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मैं तभी मर गया था… अनिरुद्धाचार्य के साथ 10 साल पहले क्‍या हुआ? डॉक्‍टर ने खड़े कर दिए थे ‘हाथ’

नई दिल्‍ली. प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने हाल ही में लोगों से संवाद के दौरान साल 2013 में उसके साथ हुए एक हादसे का जिक्र किया. उन्‍होंने बताया कि वो करीब 20 फीट की ऊंचाई से छत से गिर गए थे. उनकी हालत ऐसी थी कि डॉक्‍टर ने भी साफ कह दिया था कि वो कभी नहीं चल पाएंगे. हालांकि तमाम कठिनाइयों के बावजूद वो न सिर्फ पूरी तरह ठीक हुए बल्कि कबड्डी खेलने और दौड़ लगाने में भी सक्षम हुए.

आचार्य अनिरुद्धाचार्य ने कहा, ‘हम 2013 में 20 फीट ऊपर छत से गिर गए थे. हमारा पांव टूट गया. डॉक्‍टर ने बोला आप कभी चल नहीं पाओगे. एक पांव टूटा और एक सलामत रहा. हमने भगवान को धन्‍यवाद दिया कि 20 फीट ऊपर गिरने के बाद भी यदि आपने जीवित रखा है तो कुछ तो उद्देश्‍य होगा आपका. बगल में बड़ा पत्‍थर भी था. पत्‍थर पर ना गिरके मिट्टी पर गिरा. सिर के बल ना गिरकर कूल्‍हे के बल गिरा. सिर के बल गिरते तो मर जाता, नामो निशान समाप्‍त हो जाता. यदि बचे तो उस बचने का उद्देश्‍य क्‍या था?’

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‘इससे तो अच्‍छा है मर जाओ’
आचार्य अनिरुद्धाचार्य ने आगे कहा, ‘आप हैं तो भगवान आपसे कुछ चाह रहे हैं कि कुछ अच्‍छा करें. पर आप क्‍या कर रहे हैं. गलत काम कर रहे हैं. मांस खाते हैं. छल कपट करते हैं. क्‍या ये उद्देश्‍य है जीवन का? इससे तो अच्‍छा है कि मर जाओ, जनसंख्‍या कम होगी, महंगाई भी कंट्रोल हो जाएगी. तो मैं मरा नहीं छत से गिर कर भी.’


पांव को 3 महीने ईंट पर लटकाया
उन्‍होंने बताया कि डॉक्‍टर ने बोला आप चल नहीं पाओगे. मैंने कहा प्रभु एक पांव टूटा है लेकिन एक सलामत है. जो छोड़ रखा है सलामत उसके लिए धन्‍यवाद. अंत में भगवान ने डॉक्‍टर को ऐसी प्रेरणा दी कि उन्‍होंने बिना ऑपरेशन किए हड्डी को तीन महीने कि लिए ईंट लटका कर छोड़ दिया, खिंच गई वो और सही जगह पर आ गई. हड्डी जुड़ गई और ठीक ठाक जुड़ गई. जिस हड्डी के टुकड़े टुकड़े हो गए, वो सही जगह पर जुड़ गई. डॉक्‍टर ने कहा था, आप थोड़ा लंगड़ा कर चलेंगे लेकिन मैं लंगड़ाता भी नहीं हूं. कबड्डी भी खेल लेता हूं और दौड़ भी लेता हूं. डॉक्‍टर को भी आश्‍चर्य हुआ कि कैसे सब कुछ हो गया, क्‍योंकि करने वाले भगवान थे, इसलिए ये होना ही था.


Tags: Dharma Guru, Hindi news, Spirituality

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