jaipur

नवसंवत्सर का होगा जोरदार स्वागत
आठ दिशाओं में जायेगें श्वेत अश्व,नवसंवत्सर का करेंगे प्रचार-प्रसार
7 दिवसीय होंगे कार्यक्रम, मंदिरों में गूंजेंगे घंटे-घडियाल

निराला समाज,जयपुर। भारतीय संस्कृति के पावन उत्सव चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय नववर्ष नवसंवत्सर 2079 प्रारम्भ हो रहा है। इसके स्वागत के लिए 7 दिवसीय नवसंवत्सर उत्सव बडे ही धूमधाम से जयपुर में आयोजित किया जायेगा।
संस्कृति युवा संस्था एवं नव संवत्सर उत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा ने बताया कि 27 मार्च से 2 अप्रैल तक 7 दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम नव संवत्सर उत्सव के रूप में आयोजित किये जायेगें। जिसमें 28 मार्च को नव संवत्सर के स्वागत के लिये चार सफेद अश्व छोडे जायेगें। ये अष्व वास्तु के हिसाब से आठ दिशाओं में ईशान में खोले के हनुमानजी मंदिर, पूर्व में गलता, आग्नेय में गोनेर मंदिर, दक्षिण में सांगा बाबा, नैऋत्य में स्वामी नारायण मंदिर, पश्चिम में हाथोज हनुमान जी, वायव्य में  कदम्ब डूंगरी व उत्तर में आमेर में काले हनुमान मंदिर जी के लिये छोडे जायेगे और नव संवत्सर का अनूठे तरीके से प्रचार-प्रसार करेगें। भारतीय संस्कृति और नव संवत्सर का प्रचार करने के लिये यह श्वेत अश्व जयपुर शहर के सभी प्रमुख स्थानों से होते हुए मंदिरों में जायेगें।
मिश्रा ने बताया कि एक जमाने में अष्व छोडने की परम्परा थी उसके माध्यम से राजा लोग अपने साम्राज्य का विस्तार करते थे। लेकिन हम जयपुर में यह अनूठा एवं अद्भुत आयोजन इस लिये कर रहे है कि जयपुर की लगभग पूरी आबादी को नव संवत्सर के प्रति जागरूक किया जा सके। इस बहाने युवाओं में कौतूहल एवं जाग्रति आयेगी।
नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के संयोजक पं. देवीशंकर शर्मा ने बताया कि इन सभी श्वेत अष्वों को कल मोती डूंगरी गणेश मंदिर से सुबह 10ः00 बजे रवाना करेगें। इनका विधिवत पूजन ज्योतिषाचार्य पं. पवन शर्मा द्वारा वैदिक रीति से किया जायेगा और मोती डूंगरी गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा और जयपुर के विभिन्न मंदिरों के संत-मंहत उनकी आरती उतारकर रवाना करेगें।
ये अष्व 4 दिन तक आठों दिशाओं में जब घुमेंगें तो इनके साथ में समिति के कार्यकर्ता पम्पलेट बांटते हुए चलेंगे साथ ही इन अश्वों पर बैनर लगे होंगे जिन पर ‘‘नवसंवत्सर 2079 मंगलमय हो,’’  ‘‘नवसंवत्सर 2079 की हार्दिक षुभकानाओं’’ के बैनर लगे होगें।  विशेषकर युवाओं से आग्रह करेंगे कि भारतीय नव संवत्सर को धूमधाम से आयोजित करें। साथ ही इस बार विभिन्न एसएमएस, व्हाट्सअप मैसेज, होर्डिंग बैनर लगाकर पुरे जयपुर शहर में लोगों से आग्रह करेगें कि नव संवत्सर की बधाइयां दे।
महामंडलेश्वर महंत पुरुषोत्तम भारती ने बताया कि 2 अप्रैल को जयपुर के प्रमुख मंदिरों में घंटे-घडियाल बजाकर नवभोर का स्वागत होगा एवं शाम को गोविन्द देवजी के मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जायेगा।
पं. देवी शंकर शर्मा ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के हिसाब से नववर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन युवा वर्ग को अपने संस्कारों से परिचय हो इसलिये इस बार के आयोजन में युवाओं की अधिकाधीक प्रतिभागिता हो इसके लिए प्रचार किया जा रहा है। इसके लिये ‘‘नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति’’ का भी गठन किया गया है। ये समिति जयपुर शहर में विभिन्न मंदिरों में 27 मार्च से 2 अप्रैल तक विशेष पूजन एवं दीप आरती का आयोजन भी करेगी। निराला समाजजयपुर 27 मार्च। भारतीय संस्कृति के पावन उत्सव चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय नववर्ष नवसंवत्सर 2079 प्रारम्भ हो रहा है। इसके स्वागत के लिए 7 दिवसीय नवसंवत्सर उत्सव बडे ही धूमधाम से जयपुर में आयोजित किया जायेगा।
संस्कृति युवा संस्था एवं नव संवत्सर उत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा ने बताया कि 27 मार्च से 2 अप्रैल तक 7 दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम नव संवत्सर उत्सव के रूप में आयोजित किये जायेगें। जिसमें 28 मार्च को नव संवत्सर के स्वागत के लिये चार सफेद अश्व छोडे जायेगें। ये अष्व वास्तु के हिसाब से आठ दिशाओं में ईशान में खोले के हनुमानजी मंदिर, पूर्व में गलता, आग्नेय में गोनेर मंदिर, दक्षिण में सांगा बाबा, नैऋत्य में स्वामी नारायण मंदिर, पश्चिम में हाथोज हनुमान जी, वायव्य में  कदम्ब डूंगरी व उत्तर में आमेर में काले हनुमान मंदिर जी के लिये छोडे जायेगे और नव संवत्सर का अनूठे तरीके से प्रचार-प्रसार करेगें। भारतीय संस्कृति और नव संवत्सर का प्रचार करने के लिये यह श्वेत अश्व जयपुर शहर के सभी प्रमुख स्थानों से होते हुए मंदिरों में जायेगें।
मिश्रा ने बताया कि एक जमाने में अष्व छोडने की परम्परा थी उसके माध्यम से राजा लोग अपने साम्राज्य का विस्तार करते थे। लेकिन हम जयपुर में यह अनूठा एवं अद्भुत आयोजन इस लिये कर रहे है कि जयपुर की लगभग पूरी आबादी को नव संवत्सर के प्रति जागरूक किया जा सके। इस बहाने युवाओं में कौतूहल एवं जाग्रति आयेगी।
नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के संयोजक पं. देवीशंकर शर्मा ने बताया कि इन सभी श्वेत अष्वों को कल मोती डूंगरी गणेश मंदिर से सुबह 10ः00 बजे रवाना करेगें। इनका विधिवत पूजन ज्योतिषाचार्य पं. पवन शर्मा द्वारा वैदिक रीति से किया जायेगा और मोती डूंगरी गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा और जयपुर के विभिन्न मंदिरों के संत-मंहत उनकी आरती उतारकर रवाना करेगें।
ये अष्व 4 दिन तक आठों दिशाओं में जब घुमेंगें तो इनके साथ में समिति के कार्यकर्ता पम्पलेट बांटते हुए चलेंगे साथ ही इन अश्वों पर बैनर लगे होंगे जिन पर ‘‘नवसंवत्सर 2079 मंगलमय हो,’’  ‘‘नवसंवत्सर 2079 की हार्दिक षुभकानाओं’’ के बैनर लगे होगें।  विशेषकर युवाओं से आग्रह करेंगे कि भारतीय नव संवत्सर को धूमधाम से आयोजित करें। साथ ही इस बार विभिन्न एसएमएस, व्हाट्सअप मैसेज, होर्डिंग बैनर लगाकर पुरे जयपुर शहर में लोगों से आग्रह करेगें कि नव संवत्सर की बधाइयां दे।
महामंडलेश्वर महंत पुरुषोत्तम भारती ने बताया कि 2 अप्रैल को जयपुर के प्रमुख मंदिरों में घंटे-घडियाल बजाकर नवभोर का स्वागत होगा एवं शाम को गोविन्द देवजी के मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जायेगा।
पं. देवी शंकर शर्मा ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के हिसाब से नववर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन युवा वर्ग को अपने संस्कारों से परिचय हो इसलिये इस बार के आयोजन में युवाओं की अधिकाधीक प्रतिभागिता हो इसके लिए प्रचार किया जा रहा है। इसके लिये ‘‘नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति’’ का भी गठन किया गया है। ये समिति जयपुर शहर में विभिन्न मंदिरों में 27 मार्च से 2 अप्रैल तक विशेष पूजन एवं दीप आरती का आयोजन भी करेगी। 

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