संरक्षित क्षेत्रों में बसे लोगों के स्वैच्छिक विस्थापन के लिए स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश | Instructions to make a clear policy for voluntary displacement of peop

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने संरक्षित क्षेत्रों में बसे लोगों के स्वैच्छिक विस्थापन को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र के लिए स्पष्ट रणनीति बनाकर कार्य किया जाए। इसके साथ ही सरकार की ओर से दिए जाने वाले विस्थापन पैकेज का लाभ दिया जाए।
जयपुर
Updated: January 10, 2022 06:19:03 pm
जयपुर। मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने संरक्षित क्षेत्रों में बसे लोगों के स्वैच्छिक विस्थापन को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र के लिए स्पष्ट रणनीति बनाकर कार्य किया जाए। इसके साथ ही सरकार की ओर से दिए जाने वाले विस्थापन पैकेज का लाभ दिया जाए। आर्य सोमवार को यहां शासन सचिवालय में राज्य स्तरीय प्रबोधन समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

मुख्य सचिव निरंजन आर्य
उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक है कि संरक्षित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के स्वैच्छिक विस्थापन से संबंधित कार्य शीघ्रता पूर्वक किया जाए। उन्होंने विभाग के अधिकारियों के साथ ही संबंधित जिला कलक्टरों को भी निर्देश दिए कि राज्य के रणथम्भौर, सरिस्का और मुकुंदरा तीनों टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई जाए।
वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने इस संबंध में अब तक की प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक अरिन्दम तोमर ने प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि बाघों व अन्य वन्य जीवों को पर्याप्त स्थान उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से विस्थापन योजना शुरू की गई थी। इसके तहत प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व में बाघ परियोजना क्षेत्र के आस-पास बसे गांवों को अन्यत्र विस्थापित किया जा रहा है।
बैठक में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हैड ऑफ फोरेस्ट फोर्स) डॉ. दीप नारायण पाण्डे, अलवर, करौली, सवाई माधोपुर और कोटा जिले के कलक्टरों के साथ ही सबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
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