रेगिस्तान के धोरों के नीचे भरा है ज्ञान का खजाना, यहां है एशिया की सबसे बड़ी अंडरग्राउंड लाइब्रेरी
हाइलाइट्स
भादरिया लाइब्रेरी की नींव 21 अप्रेल 1981 को रखी गई थी
संत हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज इसके प्रेरणास्त्रोत हैं
सांवलदान रतनू.
जैसलमेर. किलों, महलों और अभेद्ध दुर्गों के लिये देश और दुनिया में प्रसिद्ध धोरों की धरती राजस्थान में एक और ऐसा अजूबा है जिसके बारे में सुनकर आप अचरच में पड़ सकते हैं. राजस्थान में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले के रेतीले धोरों में ज्ञान का अकूत खजाना भी भरा है. यह खजाना जैसलमेर-पोकरण के बीच बने भादरिया (Bhadaria) गांव में स्थित है. यहां भादरिया राय माता मंदिर परिसर में यह लाइब्रेरी बनी हुई है. दावा किया जाता है कि यह एशिया की सबसे बड़ी अंडरग्राउंड लाइब्रेरी (Asia’s largest undergroun library) है. इस लाइब्रेरी में 9 लाख करीब किताबें हैं. इन किताबों की कीमत 16 करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी जाती है. भादरिया इस इलाके का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी है.
यहां दुनिया के सभी ग्रंथों से लेकर नोवेल, पांडुलिपि और प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक के भाषणों को सहेज कर रखा गया है. 41 साल पहले संत हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज ने इसकी स्थापना की थी. इलाके के लोग बताते हैं कि हरवंश सिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज ने मंदिर के पास ही एक गुफा में 9 साल तक तपस्या की थी. यहां आप रेगिस्तान में गर्मियों में 48 से 49 डिग्री के तपते तापमान में भी सुकून से ज्ञानवर्धन कर सकते हैं.
21 अप्रेल 1981 को रखी गई थी लाइब्रेरी की नींव
संत हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज का सपना था कि वे यहां पर कॉलेज खोलें. वे जगदंबा सेवा समिति के संस्थापक भी थे. 21 अप्रेल 1981 को उन्होंने एक धर्मशाला और लाइब्रेरी के लिए नींव रखी थी. इसके बाद समिति के पदाधिकारी और स्थानीय लोगों की मदद से इसे एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत लाइब्रेरी बना डाला. भादरिया भाटियों की कुलदेवी के स्थान के रूप में भी प्रसिद्ध है.

लाइब्रेरी में 562 अलमारियां रखी हुई हैं. इसके अलावा 16 हजार रैक हैं.
562 अलमारियां रखी हुई हैं यहां
पुस्तकालय के ट्रस्टी घनश्याम पालीवाल बताते हैं कि यहां कुल चार गैलरियां हैं. इनमें 225-225 फीट और दो 365-365 फीट लंबी हैं. इनमें 562 अलमारियां रखी हुई हैं. इसके अलावा 16 हजार रैक हैं. भादरिया माता मंदिर केम्पस में बने इस पुस्तकालय में कुल 18 रूम हैं.
एक बार में बैठ सकते हैं 5 हजार से ज्यादा लोग
करीब 16-18 फीट जमीन के अंदर बनी यह लाइब्रेरी इतनी बड़ी है कि इसमें एक बार में 5 हजार से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं. जगदंबा सेवा समिति इसकी देखरेख करती है. इस समिति में करीब 150 लोग हैं. किताबें खराब न हों इसके लिए हर 5 से 6 महीने में विशेष तरह के लेप और पाउडर से इन्हें साफ किया जाता है. इस दौरान अलमारियों की भी सफाई की जाती है.
7 धर्मों के सभी ग्रंथ और हजारों साल पुरानी पांडुलिपियां मौजूद हैं
लाइब्रेरी की देखभाल और संरक्षण का काम कर रही जगदंबा सेवा समिति के मूल सिंह राठौड़ बताते हैं कि इस लाइब्रेरी में 7 धर्मों का पूरा साहित्य मौजूद है. यहां हजारों साल पुरानी पांडुलिपी के साथ लॉ से संबंधित लगभग सभी किताबें हैं जो आज तक पब्लिश हो चुकी हैं. इसके साथ ही वेदों की सम्पूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, जर्मन लेखक एफ मैक्स मुलर की रचनाएं, पुराण, इनसाइक्लोपिडिया की किताबें, आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषेद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण और विभिन्न शोधों की किताबों सहित लाखों किताबों को यहां संभाल कर रखा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Amazing story, Jaisalmer news, OMG, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : May 14, 2022, 21:42 IST